दादरी जिले में तेजी से गिरता जा रहा है भूमिगत जलस्तर, नहीं संभले तो बन सकते हैं विकट हालात
प्रयोग के लायक पानी के खत्म होने से पहले स्थायी तौर पर जल संरक्षण एवं संचयन की व्यवस्था करना ही एकमात्र उपाय है।
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : प्रयोग के लायक पानी के खत्म होने से पहले स्थायी तौर पर जल संरक्षण एवं संचयन की व्यवस्था करना ही एकमात्र उपाय है। एक शोध के अनुसार प्रदेश में भूमिगत जल समाप्त होने की कगार पर है। अगर हम अब भी नहीं संभले तो पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसना पड़ेगा। हाल ही में सामने आई एक शोध रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में भूमिगत जल खत्म होने वाला है। दूसरे संसाधन में पहले ही पिछले कई सालों से पानी की कमी लगातार बढ़ रही है। बिना पानी के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। कहावत है कि जल ही जीवन है। लेकिन जिस तीव्र गति से जल का दोहन हो रहा है उसका खामियाजा आने वाले समय में सबको भुगतना होगा। भूमिगत जलस्तर लगातार तेजी से गिर रहा है। दादरी जिले में भी स्थिति ठीक नहीं है। इसके बावजूद भी लगातार पानी को बेवजह बहाया जा रहा है। जल संरक्षण के लिए आमजन को भी आगे आना पड़ेगा। बाक्स :
घटती जा रही है नहरी पानी की उपलब्धता
जिले की लगभग 5.5 लाख आबादी की प्यास बुझाने के लिए इस साल केवल 600 क्यूसेक नहरी पानी ही मिल पाया है। पिछले सालों से नहरी पानी की मात्रा लगातार घटती जा रही है। जिले में ज्यादातर भूमिगत जल खारा है और बाढड़ा जैसे इलाकों में तो भूमिगत जल हजारों फीट नीचे चला गया है। दादरी शहर के क्षेत्र में प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी प्रतिदिन चाहिए। गांवों में प्रति व्यक्ति 70 से 80 लीटर पानी खर्च होता है। लेकिन पानी की उपलब्धता दिन प्रतिदिन घटती जा रही है। बाक्स : भूमिगत जलस्तर बढ़ाने के लिए बरतें ये सावधानियां जिले में पानी की समस्या को स्थायी तौर पर दूर करने के लिए बरसात के पानी का संरक्षण और संचयन जरूरी है। हर साल कई लाख लीटर पानी बरसात के माध्यम से जमीन पर गिरता है। अगर उसको बचाने के लिए व्यवस्था कर ली जाए तो समस्या का समाधान मुमकिन है। साथ ही कृषि क्षेत्र में कुछ बदलाव करके भी काफी पानी बचाया जा सकता है। ड्रिप इरीगेशन प्रणाली और कम पानी में उत्पादित होने वाली फसलों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।