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गण के तंत्र : वंचित परिवारों, महिलाओं में समानता, शिक्षा की रोशनी फैला रही रोशनी शर्मा

सोनू जांगड़ा, चरखी दादरी : महिलाओं के अधिकारों, समानता व बालिका की शिक्षा के लिए वर्षो

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 10:34 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 10:34 PM (IST)
गण के तंत्र : वंचित परिवारों, महिलाओं में समानता, शिक्षा की रोशनी फैला रही रोशनी शर्मा
गण के तंत्र : वंचित परिवारों, महिलाओं में समानता, शिक्षा की रोशनी फैला रही रोशनी शर्मा

सोनू जांगड़ा, चरखी दादरी :

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महिलाओं के अधिकारों, समानता व बालिका की शिक्षा के लिए वर्षो से पूर्ण समर्पित रही है दादरी निवासी, पूर्व शिक्षा अधिकारी, शिक्षाविद रोशनी शर्मा। एक शिक्षक के रूप में शैक्षणिक सेवा कार्य शुरू करने वाली रोशनी शर्मा ने लगातार महिलाओं को सक्षम, सबल बनाने व विशेषकर उन्हें शिक्षित करने के लिए कई आयामों पर सामाजिक तौर पर उल्लेखनीय कार्य किए है। रोशनी शर्मा का कहना है कि जब तक दुनिया की आधी आबादी को समानता की दृष्टि से न केवल देखा जाएगा बल्कि उसी के अनुसार अधिकार नहीं मिलेंगे तब तक विकसित राष्ट्र, समाज का सपना बेमानी है। इसके लिए सबसे पहले महिलाओं को शिक्षा की ओर ध्यान देना होगा। रोशनी शर्मा के प्रयासों से विशेष रूप से उन बालिकाओं को शिक्षा के अवसर मिले व जीवन में आगे बढ़ने के मुकाम मिले जो उपेक्षित, दबे कुचले वर्गो से संबंध रखती हैं। उनका मानना है कि समाज में बदलाव, व्यवस्था परिवर्तन, समानता, समता के लिए विशेष रूप से महिला शिक्षा का तेजी से प्रसार करना होगा। शिक्षा भी उन तबकों तक पहुंचे जिन्हें वर्षो तक उपेक्षित रखा गया है। रोशनी शर्मा ने सन 1976 में दादरी नगर की शिक्षण संस्था डीआरके आदर्श विद्या मंदिर से एक शिक्षिका के रूप में अपने सेवाकाल की शुरुआत की। सन 1989 में मुख्याध्यापिका के रूप में हरियाणा शिक्षा विभाग में नियुक्त हुई। उन्होंने मुख्य अध्यापिका के तौर पर दादरी उपमंडल के गांव अटेला कलां, मोरवाला, समसपुर, तिवाला इत्यादि में कन्या शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए निरंतर प्रयास किए। उन्होंने इन गांवों में अपने सेवा कार्य के दौरान उन परिवारों से संपर्क साधा जो आमतौर पर लड़कियों को स्कूलों में भेजने या महज प्राथमिक शिक्षा तक ही सीमित रखते थे। उन्होंने लड़कियों के लिए विशेष वजीफे, प्रोत्साहन, सहायता व प्रेरणा देकर उन्हें उच्च शिक्षा देने के लिए निरंतर प्रयास किए। वर्ष 2001 में रोशनी शर्मा ने दादरी नगर के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में प्राचार्या के तौर पर कार्य संभाला तथा लगातार 9 वर्षो तक यहां काम किया। इस दौरान उन्होंने नगर की पिछड़ी बस्तियों, कालोनियों के परिवारों की कन्याओं को दस जमा दो तक शिक्षा देने, उनकी प्रतिभाओं को पहचान कर उन्हें विभिन्न गतिविधियों में आगे बढ़ने का निरंतर प्रयास किया। उनके सेवाकाल के दौरान सामान्य व आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों की सैकड़ों छात्राओं ने प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियां हासिल की। कन्याओं की शिक्षा के साथ साथ रोशनी शर्मा पर्यावरण संरक्षण, साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ाने, सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए निरंतर प्रयासरत रही हैं।

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कई संस्थाओं ने किया सम्मानित

शहीद बघड़ावत ¨सह मेमोरियल ट्रस्ट ने उन्हें दो बार बेस्ट ¨प्रसिपल का अवार्ड देकर सम्मानित किया। सन 2006 में प्रदेश के तत्कालीन डीजीपी महेंद्र ¨सह मलिक ने रोशनी शर्मा को छात्राओं के खेलों को बढ़ावा देने के लिए विशेष सम्मान से नवाजा। सन 2007 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत ¨सह ने उन्हें महिलाओं में अधिकारों के प्रति जागरूक करने व शिक्षा की रोशनी फैलाने के लिए किए गए कार्यो के लिए सम्मानित किया। इसके अलावा जनगणना, समाज में कुरीतियां मिटाने, महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए समय समय पर विभिन्न मंचों से उन्हें सम्मानित किया जाता रहा।

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शिक्षा के लिए चले नव चेतना आंदोलन : रोशनी

रोशनी शर्मा ने जागरण से बातचीत के दौरान कहा कि उन्होंने अपने जीवन में कभी साधनों, वेतन, सुविधाओं को महत्व नहीं दिया। उनके जीवन का आनंद उन छात्राओं के उज्जवल भविष्य के साथ जुड़ा रहा है जिन्होंने अपने अपने क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल की हैं। रोशनी शर्मा ने अपने शैक्षणिक सफर के कुछ संस्मरण सांझे करते हुए कहा कि उन्होंने ऐसे परिवारों को काफी समीप से देखा है जो सामाजिक परंपराओं, आर्थिक हालातों के कारण अपनी बेटियों को स्कूलों में भेजना तो दूर उन्हें घरों से बाहर निकालने में भी संकोच करते रहे हैं। उनका प्रयास रहा है कि ऐसे परिवारों की लड़कियों में शिक्षा से ही जागरूकता संभव है। सामाजिक, आर्थिक समानता के लिए महिलाओं का शिक्षित होना जरूरी है।

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इन संस्थाओं में कर रही कार्य

रोशनी शर्मा के कार्यों को देखते हुए उन्हें पिछले दिनों मानव अधिकार संरक्षण संघ की महिला अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। इसी प्रकार वे जिला बाल विकास विभाग की सदस्य भी है। विविध सेवा प्राधिकरण की पीएलवाई सदस्य के रूप में वे महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इन संस्थाओं के द्वारा वे न केवल समानता के अधिकार के प्रति प्रयासरत है बल्कि व्यवहारिक स्तर पर भी छोटे बच्चों, वंचित परिवारों को नई रोशनी दिखा रही है।


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