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गेट पास नहीं मिला तो किसानों ने किया रोष प्रदर्शन

संवाद सहयोगीबहल डेढ़ महीने के इंतजार के बाद बाजरा बिक्री का नम्बर लगे किसानों को एकब

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 06:53 AM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 06:53 AM (IST)
गेट पास नहीं मिला तो किसानों ने किया रोष प्रदर्शन
गेट पास नहीं मिला तो किसानों ने किया रोष प्रदर्शन

संवाद सहयोगी,बहल : डेढ़ महीने के इंतजार के बाद बाजरा बिक्री का नम्बर लगे किसानों को एकबार फिर से निराशा का सामना करना पड़ा है और गेटपास नहीं मिलने से किसानों ने रोष प्रदर्शन करते हुए कार्यालय के समक्ष नारेबाजी की। किसानों ने मार्केट कमेटी प्रशासन पर मनमर्जी व तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग ने 10 दिन पूर्व उनको बाजरा खरीद का शेड्यूल के मोबाइल पर मैसेज भेजकर खुश कर दिया और मंगलवार को जब वे अपना बाजरा लेकर मंडी पहुंचे तथा मंडी के अधिकारियों की सुनी तो उनका धैर्य जवाब दे गया। एक ओर तो सरकार कहती है कि किसान की कृषि से आमदनी दोगुनी करने का खाका तैयार हो चुका है और दूसरी ओर उनकी फसल तक बिक्री नहीं हो रही है। बाट जोहते-जोहते तो उनका नंबर आया और अब मूल किसानों की फसल बेचने के लिए कानून बदल डाले। निर्धारित तारीख पर मंडी में बुलाया और बाजरा लेकर आने के बाद टोकन जारी नहीं किया जा रहा है। ऐसे में किसान के सामने पेशोपस की स्थिति आ गई है कि वह क्या करे। मंडी कर्मचारी टोकन जारी नहीं करने का आदेश नहीं होने का हवाला दे रहे हैं। किसान इस बात से डर रहे हैं कि इसी वर्ष जून में भी हजारों किसान इसी तरह की पोलिसी के चलते अपनी सरसों बेचने से वंचित रह गये थे और किसानों को मजबूरन अपनी फसल महीने भर के इंतजार के बाद आढ़तियों के यहां से उठानी पड़ी थी। किसानों ने आरोप लगाया है कि मंडी प्रशासन व मंडी व्यापारी की मिली भगत से मूल किसान अपनी फसल को बेचने से वंचित रह रहा है और फर्जी किसान अपनी फसल बेचकर जा चुका है। मंडी में घोटाले एक से बढ़कर एक देखे जा सकते है और इसमें मंडी प्रशासन व मुनाफाखोर व्यापारी एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं। किसानों का आरोप है कि किसानों का हक मारने को लेकर यह तंत्र बड़ा उत्सुक रहता है और सीधा साधा किसान लाइन में खड़ा रहता है। बहल मंडी में फर्जी किसानों की आइडी बनाकर बाजरा व दूसरी फसलें बिक्री होती रही हैं। ऐसे किसान की संख्या सैकड़ों है जो उस गांव के न होकर किसी दूसरे गांव के हैं और उनके एक मरला जमीन तक नाम नहीं और फसल सैकडों कुंतल बेच रहा है। ऐसे में वास्तविक किसान का नंबर लग पाना मुश्किल ही है।

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इस संबंध में मार्केट कमेटी के सचिव अनिल कुमार से बात करने की कोशिश की लेकिन मोबाइल नो रिप्लाई मिला। इस अवसर पर नरेश, जयपाल, बृजभान, विजय कुमार, चन्द्र प्रकाश, पिटू, सोमबीर, रामपाल, रविन्द्र, हवासिंह व अनेक किसान मौजूद थे।


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