सिर चढ़कर बोल रहा खुशी के थिरकते कदमों का जादू
सही कहा है कला उम्र की मोहताज नहीं होती। कलाकार खुशी ने अपनी प्रतिभा के दम पर खुशी का जादू बिखेरा है। दिव्यांग बच्चों को सिखाते सिखाते हैं इस कलाकार ने छोटी उम्र में राज्य स्तर पर अपनी पहचान बनाई है।
सुरेश मेहरा, भिवानी : सही कहा है कला उम्र की मोहताज नहीं होती। कलाकार खुशी ने अपनी प्रतिभा के दम पर खुशी का जादू बिखेरा है। दिव्यांग बच्चों को सिखाते सिखाते हैं इस कलाकार ने छोटी उम्र में राज्य स्तर पर अपनी पहचान बनाई है।
कलाकार की मां सुमन शर्मा दिव्यांग बच्चों का निश्शुल्क आस्था स्पेशल स्कूल चलाती हैं। खुशी अपनी मां के साथ दिव्यांग मूक बधिर बच्चों को मुख्यधारा में लाने के लिए मां का सहयोग करती हैं। मूक बधिर बच्चों को हरियाणवी डांस, सोलो डांस और क्लासिकल डांस सिखाती है।
खुशी तोशाम रोड स्थित एक निजी स्कूल की 12वीं में कला संकाय की छात्रा है। वह कौशिक नाट्य अकादमी मैं अभ्यास करती हैं। खुशी शर्मा ने बताया है कि मेरी नृत्य में अभिरुचि रही है और इसी क्षेत्र की कला उबरने के लिए प्रयासरत हूं।
खुशी के नाम जिला से राज्य स्तर तक है अनेक उपलब्धियां वर्ष 2017 इंटर स्कूल कंपटीशन के दौरान इस प्रतियोगिता में तृतीय स्थान प्राप्त किया। वर्ष 2018 राज्य स्तर पर युवा उत्सव में ग्रुप डांस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान। वर्ष 2019 के बाल महोत्सव में राज्य स्तर पर ग्रुप डांस प्रतियोगिता प्रतिभागी रही। राज्य स्तर का युवा उत्सव ग्रुप डांस में द्वितीय स्थान। युवा उत्सव में राज्य स्तर पर कुरुक्षेत्र में प्रतिभागी रही। हरियाणवी कलाकार अंजलि राघव एवं हरियाणवी गायक विश्वजीत चौधरी के साथ चुंदड़ सान्ग में शूटिग में विशेष स्थान पाया।
खुशी शर्मा का कहना है कि वह अपने पापा विजय शर्मा की तरह जीवन में कुछ नया करना चाहती हूं। कला और थिएटर के साथ साथ मेरा लक्ष्य है कानून के पढ़ाई कर समाज में न्याय दिलाने का हिस्सा बनू। मेरे मम्मी पापा की इच्छा है कि मैं जीवन में अलग हटकर कुछ विशेष करूं और नई पहचान बनाऊं। मैं मम्मी पापा के सपनों को पूरा करूंगी और समाज में न्याय के क्षेत्र में विशेष काम करूंगी।