ग्वार की खेती से किसानों का मोह भंग
चरखी दादरी जिले के किसानों द्वारा वर्तमान में खरीफ सीजन के दौरान के मुख्
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : जिले के किसानों द्वारा वर्तमान में खरीफ सीजन के दौरान के मुख्यत: कपास, बाजरा व धान की खेती की जाती है। लेकिन करीब छह साल पहले ग्वार के आसमान छूते भाव के चलते किसानों ने इन फसलों की अपेक्षा ग्वार की खेती को काफी अधिक महत्व दिया। हर किसान अपने खेतों में ग्वार का उत्पादन कर अधिक से अधिक आमदनी करने की चाहत में बाजरे व दूसरी फसलों की की बीजाई करना एक प्रकार से भूल सा गया था। पर बीते चार वर्षो में ग्वार का भाव व उत्पादन काफी कम होने पर किसानों ने ग्वार से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है और बाजरे, कपास को तवज्जो देने लगे हैं। जिसके चलते ग्वार के क्षेत्र में लगातार कमी आती जा रही है। करीब एक दशक पहले तक खरीफ सीजन के तहत कपास, बाजरे के साथ ग्वार की खेती भी समान रूप से की जाती थी। लेकिन करीब छह साल पहले चंद दिनों के दौरान ग्वार का भाव चार हजार रुपये प्रति क्विंटल से 40 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था। जिसके बाद से किसानों ने दूसरी फसलों को महत्व देना छोड़ ग्वार को तवज्जो देनी शुरू कर दी थी। जिसके चलते ग्वार बीजाई के क्षेत्र में एकाएक काफी इजाफा हुआ। हालांकि कुछ समय बाद ही ग्वार के भाव में काफी गिरावट आ गई थी। लेकिन दोबारा से भाव बढ़ने की आस में किसानों ने बड़े स्तर पर ग्वार की खेती करना जारी रखा। किसानों के लंबे इंतजार के बाद जब भाव में तेजी नहीं आई तो किसानों का ग्वार के प्रति मोह भंग होने लगा और वे किसान की खेती से मुंह मोड़ने लगे। जिसके चलते ग्वार का क्षेत्र में दो साल के दौरान ही 24 हजार हेक्टेयर कम हो गया है और अब ग्वार का क्षेत्र महज चार हजार हेक्टेयर तक सीमित रह गया है। बाक्स:
भाव व उत्पादन दोनों ही कम
किसान संजय, सुरेश, राजपाल, महेंद्र, सज्जन सिंह इत्यादि ने बताया कि छह-सात साल पहले ग्वार के भाव 40 हजार रुपये प्रति क्विंटल से भी अधिक हो गए थे। जिससे कम उत्पादन होने पर भी दूसरी फसलों की अपेक्षा ग्वार से अच्छी आमदनी होने की आस रहती थी। लेकिन बीते काफी समय से ग्वार का भाव करीब चार हजार रुपये प्रति क्विंटल हैं वहीं उत्पादन भी काफी कम हो रहा है। जिसके चलते ग्वार की खेती करना छोड़ दिया है। बाक्स:
देखभाल के अभाव में कम उत्पादन : डा. कौशिक
कृषि विशेषज्ञ डा. राजेंद्र कौशिक ने कहा कि किसान बीजाई से पहले बीज उपचार नहीं करते हैं। इसके अलावा जानकारी के अभाव में ग्वार की देखभाल भी अच्छे से नहीं हो पाती। जिससे फसल में रोग आ जाते हैं और उत्पादन इतना कम हो जाता है कि किसानों को लागत भी वसूल नहीं हो पाती है। जिसके चलते उन्होंने ग्वार के स्थान पर दूसरी फसलें लगानी शुरू कर दी है। बाक्य:
ग्वार के क्षेत्र का विवरण
सीजन क्षेत्र
2018 28000
2019 18500
2020 4000
नोट: उपर्युक्त क्षेत्र हेक्टेयर में है।