आमजन को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए मोर्चे पर डटी रहीं डा. चंचल तोमर
कोरोना संक्रमण काल में एक ओर जहां चारों तरफ सन्नाटा पसरा ि
सोनू जांगड़ा, चरखी दादरी : कोरोना संक्रमण काल में एक ओर जहां चारों तरफ सन्नाटा पसरा दिखाई देता था, संक्रमण से बचने के लिए हर व्यक्ति एक-दूसरे से दूरी बनाए रखने का प्रयास करता था वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी, कर्मचारी रहे हैं जिन्होंने लोगों के जीवन को बचाने के लिए दिनरात न केवल अपनी ड्यूटी को अंजाम दिया बल्कि दूसरे रास्तों को भी रास्ता दिखाया। इन्हीं में से एक रही हैं कोरोना संक्रमण काल के लॉकडाउन दौर में दादरी में कार्यरत तत्कालीन डिप्टी सिविल सर्जन डा. चंचल तोमर।
कोरोना वायरस को गंभीरता से लेते हुए सरकार द्वारा लॉकडाउन के पहले व दूसरे चरण में लोगों को घरों में ही रहने की अपील की जा रही है। इस मुश्किल दौर में भी स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी व कर्मचारी कोरोना संक्रमित या संदिग्ध लोगों का उपचार करने में जुटे हुए थे। बेहद कठिन परिस्थितियों के बावजूद दादरी की तत्कालीन डिप्टी सिविल सर्जन डा. चंचल तोमर भी कोरोना के खिलाफ युद्ध के मैदान में डटी रही। मूलरूप से रोहतक की रहने वाली डा. चंचल तोमर दादरी जिले में कोविड-19 की नोडल अधिकारी भी थी। एक महिला होने के बावजूद उन्होंने काफी कर्तव्यनिष्ठा व आमजन को बचाने के लिए अपनी ड्यूटी निभाई। डा. चंचल तोमर ने बताया कि शुरुआत में इतना कार्यभार नहीं था लेकिन बाद में वे कई सप्ताह तक अपने घर पर भी नहीं जा पाई। पहले तो वे रोहतक से हर रोज दादरी आती थी। लेकिन बाद में कोरोना मरीजों की देखभाल, संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए दादरी में रहना शुरू कर दिया था। जिसके चलते परिवार को भी समय नहीं दे पाई।
नोडल अधिकारी होने के नाते हर रोज पूरे जिले की रिपोर्ट बनाना, अन्य विभागों से कार्डिनेट करना उनकी ड्यूटी का हिस्सा रहा। इसके अलावा हर रोज कितने सैंपल जांच के लिए भेजे, कितनी रिपोर्ट आई, आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों का स्वास्थ्य, क्वारंटाइन में रखे लोगों की रिपोर्ट, जिले में दूसरे राज्यों, जिलों से आने वाले लोगों का रिकार्ड बनाना भी उनकी ड्यूटी का ही हिस्सा था। इसके साथ-साथ अस्पताल में बनाए गए कंट्रोल रूम में आने वाली फोन कॉल अटेंड कर उनका समाधान भी वे ही करती थी। डिप्टी सीएमओ डा. चंचल तोमर ने कोरोना संक्रमण काल के शुरुआती चार महीनों में तो दिन में 12 से लेकर 16 घंटे तक नियमित रूप से काम किया।
डा. चंचल तोमर का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग का मुख्य उद्देश्य लोगों को पूरी तरह स्वस्थ रखना है और इसके लिए वे अपनी डयूटी को निभाने का हर संभव प्रयास करती रहीं हैं।