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नकली चोट असली केस मामले में दो डाक्टरों को कोर्ट ने सुनाई दो-दो साल की सजा

जागरण संवाददाता भिवानी गुरुग्राम में करोड़ों रुपये के प्लाट को हड़पने के लिए सरकारी

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Sep 2019 01:09 AM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 06:37 AM (IST)
नकली चोट असली केस मामले में दो डाक्टरों को कोर्ट ने सुनाई दो-दो साल की सजा
नकली चोट असली केस मामले में दो डाक्टरों को कोर्ट ने सुनाई दो-दो साल की सजा

जागरण संवाददाता, भिवानी : गुरुग्राम में करोड़ों रुपये के प्लाट को हड़पने के लिए सरकारी अस्पताल के एक लेखाकार पर फर्जी एमएलआर काटकर नकली चोट असली केस प्रकरण में नौ साल बाद आखिरकार पीड़ित को न्याय मिल ही गया। न्याय की इस लड़ाई में एडीजे हर्षाली की अदालत ने सोमवार को दो डाक्टरों को दो-दो साल की सजा एवं दो-दो हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना राशि अदा ना किए जाने पर दोषियों को अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

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पीड़ित पक्ष की तरफ से पिछले नौ साल से न्याय की लड़ाई लड़ रहे एडवोकेट हरदीप सिंह सुंदरी ने बताया कि गांव केलंगा निवासी प्रहलाद सिंह हिसार सामान्य अस्पताल में एकाउंटेंट के पद पर कार्यरत था। डा. दारासिंह व प्रहलाद सिंह ने मिलकर साझे में गुरुग्राम में प्लाट खरीदा था। वर्ष 2010 में इस प्लाट को लेकर भिवानी के सामान्य अस्पताल में तैनात तत्कालीन डाक्टर दारासिंह के साथ विवाद हो गया। एडवोकेट हरदीप सिंह ने बताया कि डा. दारासिंह ने प्लाट पर प्रहलादसिंह का हक होने से इंकार करते हुए उस पर हमला कर चोट मारने का आरोप लगाया। इतना ही नहीं उसने अपने साथी डाक्टरों के साथ षड्यंत्र रचकर नकली चोट दिखाकर एमएलआर काट दी। आरोप है कि डा. आरपी शर्मा व डा. एडविन को भी अपने साथ मिला लिया। तीनों डाक्टरों ने मिलकर नकली चोट डाक्टर दारासिंह को दिखाकर झूठा केस बनवा दिया। इस मामले में पीड़ित ने न्यायालय की शरण ली। करीब नौ साल तक जिला न्यायालय से लेकर हाई कोर्ट तक में फरियाद लगाई। पिछले साल इस मामले में न्यायालय ने दो डाक्टरों को दोषी ठहराया था, जबकि डा. एडविन को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया था। इस मामले में सोमवार को एडीजे हर्षाली की अदालत ने धारा 196 के तहत डा. दारासिंह और डाक्टर आरपी शर्मा को दो-दो साल की कैद एवं दो-दो हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई हैं। जुर्माना ना दिए जाने पर दो माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।

ये था पूरा मामला

वर्ष 2007 में गांव केलंगा निवासी प्रहलाद सिंह भिवानी के सामान्य अस्पताल में क्लर्क पद पर कार्यरत था। उस दौरान भिवानी में ही तैनात डा. दारासिंह के साथ उसकी दोस्ती थी। प्रहलाद सिंह पदोन्नत होकर हिसार के सरकारी अस्पताल में एकाउंटेंट के पद पर लग गया। वर्ष 2004 में डा. दारासिंह व प्रहलाद सिंह ने मिलकर गुरुग्राम में हुडा का प्लाट एप्लाई किया। यह प्लाट डा. दारासिंह के नाम पर प्लाट निकला। आरोप है कि प्लाट अधिक कीमत का होने के कारण डाक्टर की नियत में फर्क आ गया और प्लाट हड़पना चाहा। इसी बात को लेकर यह पूरा विवाद हुआ और नौबत फर्जी मेडिकल में नकली चोट दिखाकर असली केस बनवाने तक की आ गई।

तीन साल पहले भिवानी की जेएमआइसी कोर्ट ने सुनाई थी सजा

- भिवानी की जेएमआइ कोर्ट की तत्कालीन न्यायाधीश कुमारी ज्योति ने 17 मई 2016 को इस प्रकरण में आरोपित डा. दारासिंह व आरपी शर्मा को धारा 465 के तहत एक साल, एक हजार रुपये जुर्माना, धारा 466 के तहत दो साल, दो हजार रुपये जुर्माना, धारा 471 के तहत एक साल, एक हजार रुपये जुर्माने की सजा व धारा 120बी के तहत छह माह की कैद एवं एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। अदालत ने आरोपित डॅ. एडविन को निर्दोष करार दिया था।


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