एनएच-152 डी के निर्माण से फसलों की सिंचाई प्रभावित, किसानों ने मांगा मुआवजा
कुरुक्षेत्र जिले के गंगहेड़ी-इस्माइलाबाद से नारनौल तक बनने वाले
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : कुरुक्षेत्र जिले के गंगहेड़ी-इस्माइलाबाद से नारनौल तक बनने वाले नेशनल हाईवे-152 डी के निर्माण से दादरी जिले के किसानों के समक्ष खेतों में सिचाई और आने-जाने के रास्ते आदि की परेशानी खड़ी हो गई है। जिससे किसान परेशान हैं। गांव मकड़ाना में नेशनल हाईवे के निर्माण से सिचाई के लिए बिछाई गई पाइप लाइनें कट गई हैं। इसी के चलते प्रभावित किसान सोमवार को उपायुक्त शिव प्रसाद शर्मा से मिले और हाईवे के नीचे से पाइप लाइन क्रासिग की मांग की। दादरी लघु सचिवालय पहुंचे गांव मकड़ाना निवासी किसान कृष्ण कुमार, जयप्रकाश, दिनेश कुमार, ओमप्रकाश, राजबीर, दीवान, अनूप, जागेंद्र सिंह, हरिओम, हवा सिंह, राजा आदि ने कहा कि दादरी जिले के जिन 18 गांवों से नेशनल हाईवे 152 डी का निर्माण होना है। उसमें उनका गांव भी शामिल हैं और इसके लिए उनकी जमीन का अधिग्रहण किया गया है। जिसके बाद हाईवे के निर्माण का कार्य शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा कि हाईवे के दोनों ओर कृषि योग्य भूमि है जिस पर किसान ट्यूबवैल से फसलों की सिचाई करते हैं। किसानों ने काफी समय से भूमिगत पाइप लाइनें दबा रखी है। हाईवे का निर्माण कार्य शुरू होने के बाद इन पाइप लाइनों को काट दिया है जिससे तीन माह से सिचाई प्रक्रिया ठप पड़ी है। सिचाई नहीं होने से उनकी फसलें भी खराब हुई हैं वहीं दूसरी ओर काटी गई पाइप लाइनों का उन्हें कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि वे कृषि कार्य पर ही निर्भर हैं और उनकी सैकड़ों एकड़ जमीन सिचाई से वंचित होने के कारण परिवार के पालन-पोषण में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। किसानों ने हाईवे के नीचे से पाइप लाइन क्रास करवाने की गुहार लगाई। बाक्स:
तालाब व पेड़ के मुआवजे के लिए डीसी से मिले किसान
नेशनल हाईवे के निर्माण के दौरान बीच में आने वाले पेड़ आदि को काटा जा रहा है और इसके लिए मुआवजा भी निर्धारित किया गया है। डीसी को ज्ञापन देने पहुंचे गांव रानीला निवासी किसान रामौतार ने कहा कि हाईवे के लिए उसकी जमीन का अधिग्रहण किया गया है। जहां से हाईवे का निर्माण किया जा रहा है वहां उसने अपने खेत में बारिश का पानी एकत्रित करने के लिए तालाब बनाया हुआ था व उसके आसपास पेड़-पौधे लगा रखे थे। किसान का आरोप है कि सर्वे टीम द्वारा अपनी रिपोर्ट में तालाब व पेड़-पौधो का जिक्र नहीं किया गया। जिससे उसे इनका मुआवजा नहीं मिल पाया है। उन्होंने डीसी को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि दोबारा से सर्वे करवाकर उसे उचित मुआवजा दिया जाए।