स्वतंत्रता के सारथी : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को लेकर वर्षों से अलख जगा रहे हैं डा. एमके जैन
जीवन की सार्थकता एवं सर्वांगीण विकास के लिए जरुरी है कि लोग अपनी भावनाओं का सतत प्रवाह करें।
सचिन गुप्ता, चरखी दादरी :
जीवन की सार्थकता एवं सर्वांगीण विकास के लिए जरुरी है कि लोग अपनी भावनाओं का सतत प्रवाह करें और अपने विचारों, सोच को परस्पर संप्रेषित करते रहें। इसीलिए सोच और विचारों के प्रवाह तथा संचार को जीवन का बहुत मूल्यवान आधार माना गया है। इसी सोच के साथ आगे बढ़ते हुए दादरी निवासी डा. एमके जैन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को और अधिक बल देने में जुटे हुए हैं। जिससे अधिक से अधिक लोग स्वतंत्र होकर अपने विचारों को रख सकें। दादरी के जनता पीजी कालेज में वाणिज्य संकाय के विभागाध्यक्ष डा. एमके जैन पिछले कई वर्षों से अभिव्यक्ति के अधिकार को लेकर लोगों को जागरुक कर रहे हैं। डा. जैन का मानना है कि राष्ट्रीय स्तर पर सूचना का अधिकार अधिनियम तथा हरियाणा सरकार द्वारा बनाया गया सेवा का अधिकार अधिनियम इत्यादि कुछ ऐसे कानून हैं जो अभिव्यक्ति को प्रासंगिक एवं सार्थक बना सकते हैं। लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के बारे में जागरुक करने के लिए डा. एमके जैन द्वारा रेडियो स्टेशन, मंत्रालयों की बैठक, चर्चाओं, सेमिनार इत्यादि में भागेदारी की। इसके अलावा अनेक शोध लेख, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में अपने लेखों के माध्यम से शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित अन्य अधिकारों के प्रति जनजागरुकता फैलाई। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, यूजीसी द्वारा स्वीकृत प्रोजेक्ट के माध्यम से जागरुकता शिविर लगाकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रा के अधिकार को साकार रुप दिया। इनके साथ ही डा. एमके जैन विश्वविद्यालय, रेडक्रास सोसायटी, हरियाणा बाल कल्याण परिषद, भारत विकास परिषद, हरियाणा उपभोक्तआ अधिकार मंच इत्यादि के बैनर तले अनेक कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को अधिकारों के बारे में जागरुक करने में जुटे हुए हैं। डा. एमके जैन अभी तक करीब 120 गोष्ठियों में तथा 30 प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के माध्यम से भी लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित अन्य अधिकारों के बारे में विस्तार से जानकारियां दे चुके हैं।
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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से सुशासन को गति
डा. एमके जैन का कहना है कि आदिकाल से ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का काफी महत्व है। वर्ष 1948 में मानवाधिकारों की सार्वभोमिक घोषणाओं में भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्व को वर्णित किया गया है। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति को प्रभावशील बनाने के लिए जरुरी है कि पहले व्यक्ति जानकारी हासिल करें, तथ्य एवं तर्क आधारित अभिव्यक्ति को प्रधानता दें। अन्यथा सामाजिक अव्यवस्था बढ़ सकती है। ऐसे में सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि वे कानूनों में समाहित जानकारियां हासिल करें। तभी अभिव्यक्ति समाज व्यवस्था का आधार बन सकेगी। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से ही सुशासन को गति मिल सकती है।