एक बार फिर बहल क्षेत्र में टिड्डियों का हमला, किसानों की बढ़ी चिता
टिड्डियों के झुंडों ने बहल ढाणी बहल पातवान गरवा सुरपुरा खुर्द सिरसी सुधीवास के खेतों में दोपहर में फसलों पर हमला बोला तो किसानों ने पीपे थाली बजाकर पटाखे फोड़कर तथा ट्रैक्टरों को खेतों में खड़ी फसलों में दौड़ा-दौड़ा कर टिड्डी के झुंडों को भगाने के लिए पसीना बहाया।
संवाद सहयोगी, बहल : टिड्डी दल ने एक बार फिर क्षेत्र में फसलों पर हमला करके किसानों की चिंता बढ़ा दी है। राजस्थान सीमा से निकले टिड्डियों के झुंडों ने बहल, ढाणी बहल, पातवान, गरवा, सुरपुरा खुर्द, सिरसी, सुधीवास के खेतों में दोपहर में फसलों पर हमला बोला तो किसानों ने पीपे, थाली बजाकर, पटाखे फोड़कर तथा ट्रैक्टरों को खेतों में खड़ी फसलों में दौड़ा-दौड़ा कर टिड्डी के झुंडों को भगाने के लिए पसीना बहाया। झुंडों में बिखरा टिड्डी दल राजस्थान के गागड़वास की ओर से पातवान व गरवा के खेतों में फसलों पर हमला बोला। वहीं बाद दोपहर करीब ढाई बजे टिड्डी सुधीवास के खेतों से निकलकर राजस्थान सीमा में चले जाने की बात किसान कर रहे हैं। बहल खंड के कृषि अधिकारी टिड्डी के दलों पर नजर बनाए हुए हैं।
किसानों की मानें तो टिड्डियों के झुंड पिछले तीन चार दिन से सिवानी व आसपास के गांवों के खेतों में मंडरा रहे थे। किसानों ने तेज आवाज कर टिड्डियों को भगाने का प्रयास किया, लेकिन टिड्डियों के दल की संख्या ज्यादा होने और थाली व पीपे की आवाज से टिड्डियों पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने क्षेत्र का दौरा करते हुए बताया कि वे शाम तक इंतजार करके जहां पर टिड्डियों का पड़ाव होगा, वहां कीटनाशक का छिड़काव करेंगे। किसान सुभाष, रामकुमार वर्मा, हवा सिंह सुधीवास, धूपसिंह बहल, अशोक आर्य, जयसिंह लाखलाण व विजय पूनिया ने बताया कि टिड्डियों के आने से उनके सामने फसल को बचाने का संकट खड़ा हो गया है। कड़ी मेहनत से तैयार हो रही फसल पर इस प्रकार की आपदा आने से किसान पेशोपेश की स्थिति में है।
किसानों ने बताया कि टिड्डियों पर थाली व पीपे की आवाज से ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा है। जैसे ही उनके नजदीक जाते हैं तो वे उड़ती हैं। ऐसे में पूरे खेत में किसान के लिए घूम-घूम कर टिड्डियों को भगाना भारी परेशानी का काम होता जा रहा है।
इस संबंध में कृषि विभाग के अधिकारी डॉ. सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि शाम के समय टिड्डियां एक जगह पर बैठ जाती हैं और उस समय कीटनाशक का छिड़काव करके टिड्डियों को मारा जाएगा। इसमें प्रशासन के साथ-साथ किसानों का सहयोग लिया जाएगा।