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किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के बाद कोरोना संक्रमित हुए एडवोकेट महेश ने नहीं मानी हार

जिदगी जीने का अपना-अपना अंदाज होता है। कुछ लोग मामूली दुख-पीड़ा आने पर भी हार मानकर जिदगी गवां देते है तो कुछ लोग मौत को भी हरा कर जीने का मकसद सीखाते है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 May 2021 07:09 AM (IST)Updated: Sun, 30 May 2021 07:09 AM (IST)
किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के बाद कोरोना संक्रमित हुए एडवोकेट महेश ने नहीं मानी हार
किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के बाद कोरोना संक्रमित हुए एडवोकेट महेश ने नहीं मानी हार

अशोक ढिकाव, भिवानी : जिदगी जीने का अपना-अपना अंदाज होता है। कुछ लोग मामूली दुख-पीड़ा आने पर भी हार मानकर जिदगी गवां देते है तो कुछ लोग मौत को भी हरा कर जीने का मकसद सीखाते है। इनमें से एक है भिवानी की जगत कालोनी निवासी एडवोकेट महेश कुमार। महेश ने की किडनी में दिक्कत थी। वह सालों से इस बीमारी से परेशान थे। कोरोना काल के दौरान ही 18 जनवरी 2021 को उन्होंने दिल्ली के मक्स अस्पताल में अपनी किडनी ट्रांसप्लांट करवाई। उसके बाद उन्हें नई जिदगी मिली। वह इस बीमारी से अभी ठीक से उभर भी नहीं थे कि कोरोना संक्रमण ने उन्हें घेर लिया, लेकिन उन्होंने हार नही मानी। पॉजिटिव सोच के साथ नेगेटिव होने की ठान ली और आखिर में 15 दिन के अंदर कोरोना को हरा दिया।

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जगत कालोनी निवासी एडवोकेट महेश कुमार बताते है कि वह काफी समय से किडनी की बीमारी से परेशान थे। उनका कई महीनों तक दिल्ली के मैक्स अस्पताल में इलाज चलता रहा। आखिरकार डाक्टरों को 18 जनवरी 2021 को किडनी ट्रांसप्लांट करनी पड़ी। वह किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के बाद ठीक हो गए, लेकिन इस मई माह में तबियत खराब रहने लगी। 6 मई 2021 को कोविड-19 टेस्ट करवाया तो उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उनकी पत्नी सुनीता व 14 साल का बेटा भविष्य परेशान हो गए। दोनों ही घबरा गए, लेकिन इस दौरान सबसे पहले उन्होंने अपने बेटे भविष्य को अपनी नानी के घर भेज दिया, ताकि वह सुरक्षित रहे। इसके बाद वह अपने घर पर होम क्वारंटाइन हो गए। केवल इम्युनिटी वाली वस्तुओं का सेवन करना और सुबह पहले भजन सुनना। योग करने को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया, ताकि कोरोना को हरा सकूं।

टीवी पर पॉजिटिव न्यूज व कार्यक्रम देखना व धार्मिक पुस्तकें पढ़ना बन गए जिदगी का हिस्सा

एडवोकेट महेश ने कहा कि वह इस स्थिति में घबराएं नहीं। पत्नी के सहयोग से वह इस बीमारी से लड़ते रहे। टीवी पर कोरोना से संबंधित कोई भी न्यूज तक नहीं देखते थे। केवल पॉजिटिव न्यूज, हंसी मजाक के कार्यक्रम देख कर अपना मनोरंजन करते। इसके साथ ही सुबह उठते ही सबसे पहले योग करना, पौधों में पानी देना व टहलना नहीं भूलते थे। दिन भर अपने रूम में धार्मिक किताबें पढ़ते। केवल 12 दिन बाद ही जांच फिर से करवाई तो निगेटिव आई। कोरोना को हराकर आज खुशी से जिदगी जी रहा हूं।


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