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अस्त होते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर की सुख-समृद्धि की कामना

कार्तिक छठ का पर्व मनाया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 08:00 AM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 08:00 AM (IST)
अस्त होते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर की सुख-समृद्धि की कामना
अस्त होते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर की सुख-समृद्धि की कामना

फोटो-6, 13, 14, 15, 16 व 17: जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :

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कार्तिक छठ का पर्व शुक्रवार को यहां श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कई राज्यों से यहां आकर बसे पूवरंचल वासियों ने जगह-जगह अस्ताचल सूर्य नारायण की पूजा कर भविष्य में सुख समृद्धि की कामना की। शाम होते ही शुरू हुए सूर्य को अ‌र्घ्य देने के दौर से शहर में भक्ति का माहौल बना रहा। अब शनिवार की सुबह उदय होते सूर्य को अ‌र्घ्य दिया जाएगा।

दो दिन के उपवास के बाद पूर्वांचल के परिवारों की महिलाओं ने शुक्रवार की सायं अस्ताचल सूर्य की पूजा अर्चना की और समाज में शांति और सुख की कामना की। लाइन पार क्षेत्र के छोटूराम नगर, न्यू पटेल पार्क, सेक्टर-सात के हाउसिग बोर्ड के पास, सैनिक नगर, सेक्टर 9 बाईपास पर जलघर समेत कई स्थानों पर बने अस्थायी घाट पर पूर्वांचल वासियों ने हजारों की संख्या में एकत्रित होकर सूर्य नारायण को अ‌र्घ्य दिया। इससे पहले दिन में जहां पूजा अर्चना की तैयारी चलती रही तो शाम होते ही लोगों का रुख पूजा अर्चना की सामग्री और फलाहार के साथ घाट की तरफ हो गया। काफी लोगों ने तो यह यात्रा पेट के बल चलकर पूजा स्थल तक पूरी की। कई परिवारों की टोलियां बैंडबाजे के साथ तालाबों पर पहुंची। सूर्य देव जब डूबने को थे तब शहर के विभिन्न हिस्सों से परिवार अ‌र्घ्य देने के लिए तालाबों की ओर रुख किए हुए थे। इससे माहौल भक्तिमय बना। मान्यता है कि रावण के वध के बाद सीता माता ने भी छठ का व्रत रखा था। तभी से यह परंपरा चली आ रही है। विभिन्न हिस्सों से तालाबों पर पहुंचे पूर्वांचल वासियों ने फल-फूल और तरह-तरह के पकवानों से सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। कई जगह छठ पूजा महोत्सव मनाया गया। इसमें काफी संख्या में पूर्वांचल वासी एकत्रित हुए। बिहार मूल के निवासी अजीत श्रीवास्तव ने बताया कि छठ की शुरूआत कार्तिक शुक्ल पक्ष से ही हो जाती है। महिलाओं ने तीन दिन तक उपवास किया और भगवान सूर्य की डूबने तक पूजा अर्चना की गई। शनिवार की सुबह दूध और गंगाजल से अ‌र्घ्य दिया जाएगा। खूब की आतिशबाजी :

घाट पर पूजा के दौरान लोगों ने खूब आतिशबाजी भी की। ऐसे में एक बार फिर दीपावली सा नजारा बन गया। पूजा स्थलों पर लोगों की काफी भीड़ उमड़ी। कोरोना के चलते इस बार पंडाल नहीं सजे, मगर पूजा और दूसरी परंपराएं पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ पूरी की गई।


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