Move to Jagran APP

शहर के बीचोंबीच बसे गांव सांखोल के मल्लाह वाले तालाब में भर दिया वेस्ट जुआं ड्रेन का मलबा

- तालाब में होता था बारिश का पानी स्टोर जो सालभर पशुओं के पीने नहलाने व कपड़े धोने समेत अन्य कार्यो में होता था प्रयोग

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 06:00 AM (IST)
शहर के बीचोंबीच बसे गांव सांखोल के मल्लाह वाले तालाब में भर दिया वेस्ट जुआं ड्रेन का मलबा
शहर के बीचोंबीच बसे गांव सांखोल के मल्लाह वाले तालाब में भर दिया वेस्ट जुआं ड्रेन का मलबा

- तालाब में होता था बारिश का पानी स्टोर, जो सालभर पशुओं के पीने, नहलाने व कपड़े धोने समेत अन्य कार्यों में होता था प्रयोग - तालाब को दोबारा जीवित करने के लिए गांव की संघर्षशील जनकल्याण सेवा समिति से जुड़े कई युवा प्रयास में जुटे - तालाब पर पार्क व सामुदायिक केंद्र बनाने के फैसले को बदलवा चुकी है समिति, अब इसकी खोदाई कराने का चल रहा है प्रयास फोटो-3: ---सहेज लो दो बूंद जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़:

loksabha election banner

शहर के बीचोंबीच बसे गांव सांखोल में बारिश के पानी से लबालब रहने वाले मल्लाह तालाब में वेस्ट जुआं ड्रेन से निकाली गई गाद डालकर इसे पाट दिया है। तीन साल से यह तालाब अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है। अब इस तालाब ने ऊबड़-खाबड़ खाली मैदान का रूप ले लिया है। मिट्टी भरने से पूरे गांव का बारिश का पानी ड्रेन में बह जाता है। तालाब न होने से बारिश के दौरान लाखों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। जब यह तालाब था तो इसमें बारिश का पानी स्टोर हो जाता था और यह पानी पशुओं के पीने, नहलाने, कपड़े धोने व अन्य कार्याें में प्रयोग होता था। तालाब को पुनर्जीवित करने के लिए गांव की संघर्षशील जनकल्याण सेवा समिति से जुड़े युवाओं ने काफी प्रयास किए हैं। युवाओं के प्रयास से ही करीब एक साल तक चली लंबी कार्रवाई के बाद यहां पर पंचायत की ओर से पार्क व सामुदायिक केंद्र के निर्माण करने के प्रस्ताव को रद कर दिया गया। अब युवाओं के प्रयास से ही करीब डेढ़ एकड़ में फैले इस तालाब की दोबारा से खोदाई के प्रयास शुरू हो गए है। समिति से जुड़े युवाओं के इन्हीं प्रयासों को जल शक्ति मंत्रालय ने भी काफी सराहना की है और अपनी मैग्जीन जल चर्चा में समिति के जल संरक्षण के प्रयासों को काफी सराहा था।

दरअसल, गांव सांखोल शहर के बीचोंबीच स्थित है। गांव में तीन तालाब होते थे। उनके नाम थे बड़ा तालाब, ककराला और मल्लाह। ये तीनों तालाब वर्षा जल संग्रहण के बड़े स्त्रोत थे। बड़ा तालाब व ककराला तालाब तो अभी जिदा हैं और जीर्ण-शीर्ण स्थिति में हैं, मगर मल्लाह तालाब आज पूरी तरह मिट्टी डालकर पाट दिया गया है। इस तालाब के साथ-साथ दो कुएं भी थे, जिनका प्रयोग गांव वाले पानी भरने के लिए करते थे। मल्लाह तालाब के पानी का प्रयोग गांव वाले पशुओं को नहलाने, कपड़े धोने आदि में करते थे। मगर समय के साथ-साथ लालच ने इन जल स्त्रोतों को नष्ट कर दिया। वर्ष 2018 में जब वेस्ट जुआं ड्रेन के ऊपर सड़क बनी, तब इन कुओं और मल्लाह तालाब को ड्रेन से निकली गाद से पाट दिया गया और बाद में ग्रामीणों के हस्ताक्षर करवाकर यहां पर पार्क बनाने व सामुदायिक केंद्र बनाने का प्रस्ताव पंचायत ने पास कर दिया। गांव की संघर्षशील जनकल्याण सेवा समिति जल की एक-एक बूंद बचाने के लिए प्रतिबद्ध है और कई सालों से जल बचाने की दिशा में कार्य कर रही है। उसने इस तालाब को बचाने के बीड़ा उठाया। समिति द्वारा जुलाई 2019 में सीएम विडो पर शिकायत की। समिति के सदस्यों को जान से मारने की धमकी भी मिली लेकिन उनका हौंसला कम नही हुआ। इसी दौरान इस तालाब पर निर्माण कार्य शुरू हुआ, लेकिन समय रहते समिति द्वारा विभागीय कार्रवाई करवा कर इसके ऊपर होने वाले अवैध कब्जे को रुकवा दिया। इन युवाओं की जिद के आगे मल्लाह तालाब बच गया, जिसकी सराहना जल शक्ति मंत्रालय ने भी की। सांखोल गांव के इन युवाओं के प्रयास बहुत जल्द रंग लाने वाले है, क्योंकि तालाब को पुनर्जीवित करने के पैसे पास हो गए हैं। बस अब उस दिन का इंतजार है जब इसकी खोदाई शुरू होगी और वर्षा जल इस तालाब में एकत्रित होकर अपने पुराने रूप में आएगा। समिति सदस्यों ने बताया कि इसे भविष्य में एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.