इन सड़कों पर संभलकर चलना, कदम-कदम पर खड़ी है मौत
इन गड्ढों की वजह से सफर तो लंबा और अधिक समय का होगा ही वाहन भी कब किस गड्ढे में फंसकर क्षतिग्रस्त हो जाए कह नहीं सकते। सड़कें तो अनेक हैं मगर गड्ढ़ों से तो कोई नहीं बची। किसी भी सड़क को देख लो वहां अनगिनत गड्ढे क्यों है इसका जवाब एक आम आदमी आखिर किससे ले। लिक मार्ग हो या मुख्य सड़क हाइवे हो या एक्सप्रेस वे सब के सब ही गड्ढों से लैस। आखिर ऐसे हालत क्यों हैं।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :
यहां की सड़कों पर सुहाना नहीं बल्कि गड्ढों वाला सफर ही हो सकता है। बाइक पर हेलमेट पहनो या गाड़ी में सीट बेल्ट लगा लो, इससे आप खुद को सुरक्षित महसूस कर सकते हो, मगर सड़कों पर कदम-कदम पर बने गड्ढ़ों से सुरक्षा कैसे होगी। इन गड्ढों की वजह से सफर तो लंबा और अधिक समय का होगा ही, वाहन भी कब किस गड्ढे में फंसकर क्षतिग्रस्त हो जाए, कह नहीं सकते। सड़कें तो अनेक हैं, मगर गड्ढ़ों से तो कोई नहीं बची। किसी भी सड़क को देख लो वहां अनगिनत गड्ढे क्यों है, इसका जवाब एक आम आदमी आखिर किससे ले। लिक मार्ग हो या मुख्य सड़क, हाइवे हो या एक्सप्रेस वे, सब के सब ही गड्ढों से लैस। आखिर ऐसे हालत क्यों हैं। क्या वाहन चालक रोड टैक्स नहीं देते या फिर किसी टोल रोड से गुजरते वक्त फ्री में ही सफर हो जाता है। और सबसे अहम तो इन गड्ढों पर जो हर पल असुरक्षित सफर हो रहा है, उसका जिम्मेदार कौन है। जब-तब सड़कों पर इन गड्ढों की वजह से हादसे भी होते रहे हैं, मगर उनसे भी कोई सबक नहीं लिया जा रहा। लाजिमी तौर पर इन सड़कों से शासन-प्रशासन के अधिकारी-प्रतिनिधि भी गुजरते हैं, मगर हो सकता है उन्हें इससे परेशानी न हो। ये है शहर का हाल : 1. अनगिनत गड्ढे और धूल का गुबार, कब तक सहेंगे :
यह हाल है सेक्टर-छह के मुख्य डिवाइडिग रोड का। यहां सड़क पर इतने बड़े गड्ढे हैं कि बड़ा वाहन भी आसानी से न निकल पाए। छोटे और दुपहिया वाहन तो यहां पर हर रोज हादसे का शिकार होने से बचते हैं। इन गड्ढों के कारण ही वाहनों की आवाजाही से धूल का गुबार भी उठता है। लोगों की जुबां पर एक बात है कि इस परेशानी को आखिर कब सहें। सड़क की पैचिग हो तो बात बने। 2. मुख्य सड़क पर पैदल चलना भी आसान नहीं :
दिल्ली-रोहतक रोड पर कई जगह तो ऐसे हालात हैं कि लोग पैदल चलने से भी बचते हैं। पिछले दिनों नई सीवर पाइप लाइन डाली गई। जहां-तहां सड़क टूटी हुई छोड़ दी गई। बाकी जगह पैचिग न होने से गड्ढे बने हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या विभाग तब जागेगा, जब इन गड्ढों से कोई हादसा हो जाएगा। 3. आर्थिक नुकसान और मानसिक परेशानी दोनों झेल रहे :
सेक्टर-सात सब्जी मंडी की तरफ आने वाली सड़की हालत खस्ता है। जगह-जगह गड्ढे हैं। एक तो ज्यादातर सड़कों के निर्माण में ही गुणवत्ता से परहेज किया गया। इनमें यह सड़क भी थी। ऊपर से अब कोई मरम्मत नहीं। वाहन लेकर निकलों तो पांच मिनट का सफर आधे घंटे में होता है। ईंधन की लागत ज्यादा, ऊपर से टूटी सड़क पर वाहनों के टायर जल्दी घिस रहे। यह स्थिति हर वाहन चालक को आर्थिक नुकसान के साथ मानसिक परेशानी भी दे रही। 4. यहां अव्यवस्था और अनदेखी ने बिगाड़े हालात :
सेक्टर-छह में जमा होने वाले बरसाती पानी को सांखौल गांव के पास पहली पुलिया से निकाला जाता है मगर डिस्पोजल पंप से पानी सड़क पर डाल दिया जाता है। जो सड़क पर दूर तक बहकर नाले में जाता है। इससे सेक्टर की तरफ जाने वाली सड़क भी और रोहतक रोड दोनों में बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं। इनमें हर वक्त पानी जमा रहता है। इसकी सुध लेने को कोई तैयार नहीं 8ै। 5. सड़क से उखड़ी रोडी से दुपहिया फिसलने का डर :
लगभग हर सड़क पर गडढे़ बने हैं। उससे निकली रोड़ी सड़कों पर दूर तक फैली हैं। इनसे वाहनों को नुकसान तो पहुंचा ही रहा है, मगर दुपहिया वाहनों का तो इनकी वजह से फिसलने का डर रहता है। 6. यहां पर गड्ढे भी और पानी भी जमा :
सड़कों पर जहां गड्ढे हैं, उनमें से ज्यादातर जगह पानी जमा रहना ही बड़ी परेशानी है। इस सड़क पर यह दोनों ही परेशानी बनी हुई है। रोजाना सैंकड़ों वाहन चालक इस परेशानी को झेलते हैं, मगर करें भी तो क्या। वर्जन..
सेक्टर डिवाइडिग रोड के गड्ढ़े अभी भरे जा रहे हैं। बारिश के बाद इन सड़कों की मरम्मत का कार्य किया जाएगा।
-संदीप दहिया, कार्यकारी अभियंता, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, बहादुरगढ़। वर्जन.
सड़कें तो मूलभूत सुविधाओं का हिस्सा है। जब उन्हीं की हालत खस्ता है और शासन-प्रशासन सुध नहीं ले रहा है तो बाकी विकास की उम्मीद करना बेमानी है। जितनी जल्दी हो सके सड़कों की हालत सुधारी जाए
-नवीन मल्होत्रा, व्यवसायी। सड़कों की हालत देखकर तो ऐसा लगता है जैसे न तो प्रदेश में सरकार है और न ही प्रशासन। जनता को एक तरह से उसके हाल पर छोड़ दिया गया है। आखिर इतने बुरे हालातों के कौन जिम्मेदार है।
-बुल्लड़ पहलवान, सेक्टर छह सड़कों पर बने गड्ढों के कारण जब-तब छोटे व बड़े हादसे होते रहते हैं। निश्चित तौर पर सड़कों की ऐसी हालत के लिए शासन-प्रशासन की लापरवाही जिम्मेदार होती है, तो उन पर कोई कानूनी कार्रवाई क्यों न होनी चाहिए
-सत्यप्रकाश छिकारा।