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सरकारी अस्पतालों में नहीं रहेगी दवाइयों की कमी, 564 तरह की दवाइयां खरीदेगा स्वास्थ्य विभाग

झज्जर के सरकारी अस्पतालों में अब दवाइयों की कमी नहीं रहेगी। स्वास्थ्य विभाग के वेयरहाउस से जिन दवाइयों की सप्लाई नहीं होगी उनको जिले के सरकारी अस्पताल का प्रबंधन अपने स्तर पर खरीद कर सकेगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 08:00 AM (IST)Updated: Sat, 11 Jul 2020 08:00 AM (IST)
सरकारी अस्पतालों में नहीं रहेगी दवाइयों की कमी, 564 तरह की दवाइयां खरीदेगा स्वास्थ्य विभाग
सरकारी अस्पतालों में नहीं रहेगी दवाइयों की कमी, 564 तरह की दवाइयां खरीदेगा स्वास्थ्य विभाग

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : झज्जर के सरकारी अस्पतालों में अब दवाइयों की कमी नहीं रहेगी। स्वास्थ्य विभाग के वेयरहाउस से जिन दवाइयों की सप्लाई नहीं होगी, उनको जिले के सरकारी अस्पताल का प्रबंधन अपने स्तर पर खरीद कर सकेगा।

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स्वास्थ्य विभाग ने दवाइयों की खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी है। करीब एक करोड़ रुपये की दवाइयों की खरीद का एस्टीमेट है, जिसका टेंडर बहुत जल्द ही सीएमओ कार्यालय की ओर से लगाया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग की ओर से विभिन्न सरकारी अस्पतालों के लिए 564 तरह की दवाइयों की खरीद प्रक्रिया शुरू की गई है। दरअसल, वेयरहाउस से मिली दवाइयों के अलावा बहादुरगढ़ के सिविल अस्पताल में एक साल में करीब 14-15 लाख रुपये की दवाइयों की खरीद की जाती है। अगर हम पूरे झज्जर जिले के सरकारी अस्पतालों का आकलन करें तो यहां पर सालाना 50 से 60 लाख रुपये की दवाएं खरीदी जाती हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से आगामी एक साल में एक करोड़ की दवाइयां खरीद करने का अनुमान है। इसके लिए 564 तरह की दवाइयों की डिमांड रखी गई है और जल्द ही टेंडर लगाकर विभिन्न कंपनियों के मार्फत इन दवाइयों के रेट निर्धारित किए जाएंगे। टेंडर में रेट निर्धारित होने के बाद जरूरत पड़ने पर टेंडर लेने वाली कंपनी से मांग के अनुरूप दवाइयों की खरीद कर ली जाएगी। हालांकि दवाइयों की खरीद वेयरहाउस से मिलने वाली दवाइयों पर निर्भर करता है। अगर वेयरहाउस से दवाइयों की सप्लाई ठीक तरह से होती रहे तो अस्पतालों में दवाइयों की खरीद करने की जरूरत नहीं होगी। वेयरहाउस से जो दवा नहीं मिलती उसकी खरीद अस्पतालों की ओर से अपने स्तर पर की जाती है। इसके लिए एक साल की खरीद प्रक्रिया टेंडर के तहत की जाती है। टेंडर में विभिन्न दवाइयों के रेट आ जाते हैं। इसके बाद जिस अस्पताल को जितनी दवाइयों की जरूरत होती है, डिमांड के अनुसार टेंडर लेने वाली कंपनी से सप्लाई करवा ली जाती है।

डा. संजय दहिया, सीएमओ, झज्जर।


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