आधे रास्ते से लौटीं 42 में दस बसें, 10 गाड़ियां प्रशासन को सौंपीं, 20 को अलर्ट मोड पर रखा, भटकते रहे यात्री
किसान आंदोलन के चलते रोडवेज की आधे से ज्यादा बसें रूटों पर नहीं दौड़ीं। सुबह से दोपहर तक रोडवेज डिपो की ओर से किलोमीटर स्कीम की 14 बसों समेत 88 बसों में से 42 बसों को अंबाला सिरसा करनाल आदि रूटों पर भेजा गया था लेकिन इनमें 10 गाड़ियां तो दोपहर तक ही आधे रास्ते से वापस लौट आई। अन्य बसें भी बीच रास्ते में फंस गई।
- किसान आंदोलन के कारण रोडवेज की ओर से रूटों पर भेजी गई थीं सिर्फ 42 बसें
- बसें न चलने के कारण डिपो में आने वाले यात्री निराश होकर लौटे, दूसरे संसाधनों में सवार होकर गंतव्य को पहुंचे लोग
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : किसान आंदोलन के चलते रोडवेज की आधे से ज्यादा बसें रूटों पर नहीं दौड़ीं। सुबह से दोपहर तक रोडवेज डिपो की ओर से किलोमीटर स्कीम की 14 बसों समेत 88 बसों में से 42 बसों को अंबाला, सिरसा, करनाल आदि रूटों पर भेजा गया था, लेकिन इनमें 10 गाड़ियां तो दोपहर तक ही आधे रास्ते से वापस लौट आई। अन्य बसें भी बीच रास्ते में फंस गई।
इसके अलावा 10 गाड़ियां प्रशासन को सौंपी गई थीं। साथ ही प्रशासन को देने के लिए 20 बसों को अलर्ट मोड पर रखा गया था। शेष बसें डिपो में ही खड़ी रहीं। ऐसे में यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। लोकल रूटों ही कुछ बसें चल सकीं। यात्री सुबह से डिपो में पहुंचना शुरू हो गए थे लेकिन बसें न चलने से उन्हें निराश होकर घर लौटना पड़ा। ज्यादा परेशानी तो सुबह सात बजे के बाद हुई। इसके बाद तो कुछ एक बस ही बाहर रूट के लिए निकल सकीं। ऐसे में यात्री इधर-उधर भटकते रहे। काफी देर तक इंतजार के बाद यात्री अन्य साधनों का सहारा लेकर अपने गंतव्यों की ओर रवाना हुआ। हड़ताल पर नहीं रहा एक भी कर्मचारी : धर्मबीर
बहादुरगढ़ डिपो के ड्यूटी निरीक्षक धर्मबीर ने बताया कि किसान आंदोलन के कारण रूटों पर बसों की संख्या कम रही। आधे रास्ते से भी 10 बसें लौट आईं। हड़ताल में डिपो का एक भी कर्मचारी शामिल नहीं रहा। बसें न चलने से यात्री परेशान रहे।