लॉकडाउन से लॉक हुआ पॉल्यूशन, शुद्ध हुई आबोहवा
प्रदेश में इस वक्त सबसे ज्यादा जिन चीजों को लेकर चर्चा है वो है कोरोना वायरस और इसे नियंत्रित करने के लिए किया जा रहा लॉकडाउन।
कृष्ण वशिष्ठ, बहादुरगढ़:
प्रदेश में इस वक्त सबसे ज्यादा जिन चीजों को लेकर चर्चा है वो है कोरोना वायरस और इसे नियंत्रित करने के लिए किया जा रहा लॉकडाउन। इस बीच कोरोना काल में एक बात यह साफ हो गई है कि लॉकडाउन से प्रकृति का रंग खुशनुमा हो गया है। प्रदूषण के हालात तेजी से बदले हैं। पर्यावरण का आवरण पहले के मुकाबले काफी सुंदर हुआ है। लॉकडाउन से जहां आर्थिक व्यवस्था गड़बड़ा गई है वहीं इसका सीधा असर जलवायु पर भी पड़ा। धरती पर इसका सकारात्मक असर पड़ा है कि अस्थायी रूप से ही सही मगर हवा काफी साफ हो गई। प्रदेश के काफी प्रदूषित शहरों में प्रदूषण की स्थिति में काफी सुधार हुआ है और उनका वायु गुणवत्ता सूचकांक मध्यम या संतोषजनक स्थिति में आ गया है। धूलकण कम होने से आसमान साफ हुआ है। वहीं उद्योग धंधे बंद होने से भी प्रदूषण का स्तर कम हुआ है। फरीदाबाद व नारनौल को छोड़कर प्रदेश के अन्य शहरों के प्रदूषण स्तर में काफी सुधार हुआ है। कई शहरों में तो वायु गुणवत्ता सूचकांक 100 से भी नीचे आ गया है। गौरतलब है कि वर्ष 2020 में भी जब लॉकडाउन लागू हुआ था तो प्रदूषण का स्तर काफी कम हो गया था। प्रदेश के शहरों का प्रदूषण का स्तर:
शहर वायु गुणवत्ता सूचकांक (माइक्रोग्राम में)
अंबाला 83
बहादुरगढ़ 98
बल्लबगढ़ 66
भिवानी 89
फरीदाबाद 204
गुरुग्राम 118
हिसार 116
कुरुक्षेत्र 74
मानेसर 122
पानीपत 126
पंचकुला 62
रोहतक 86
सिरसा 62
यमुनानगर 82
नारनौल 190
चरखी दादरी 103 स्वास्थ्य को लेकर प्रदूषण स्तर की श्रेणी:
श्रेणी वायु गुणवत्ता सूचकांक (माइक्रोग्राम में)
अच्छा 0-50
मध्यम 51-100
अनहेल्दी फॉर सेंसेटिव पर्सन 101-150
अनहेल्दी 151-200
वैरी अनहेल्दी 201-300
खतरनाक 301-500 लॉकडाउन की वजह से सड़कों पर वाहनों की संख्या कम हो गई है। 90 फीसद फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं। इस कारण प्रदूषण का स्तर काफी कम हुआ है। लॉकडाउन का यह एक सकारात्मक पहलू भी है। यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद भी है।
-दिनेश यादव, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बहादुगरढ़।