दिल्ली की सीमा पर दशकों बाद खेली गई हरियाणा-पंजाब के बीच होली
आसपास के गांवों से कईं महिलाएं यहां कोरड़े लेकर पहुंचीं
आसपास के गांवों से कईं महिलाएं यहां कोरड़े लेकर पहुंचीं। फोटो-2 व 3: जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :
वर्ष 1966 के बाद शायद यह पहला मौका रहा होगा, जब दिल्ली की सीमा पर हरियाणा-पंजाब के बाशिदों के बीच होली देखने को मिली। भले ही यह सब एक मजबूरी के बीच हुआ, मगर कोरड़ा मार होली की परंपरा को यहां हंसी-खुशी से निभाया गया। आसपास के गांवों से कईं महिलाएं यहां कोरड़े लेकर पहुंचीं। पहले तो सोमवार को यहां पर घंटे पर तक सभा चली। मंच से वक्ता उसकी तरह सरकार पर बरसे जैसा हर रोज होता है। उसके बाद गांवों से पहुंचीं महिलाएं कोरड़े लेकर सीधे स्टेज पर पहुंची। जब सभा खत्म हुई तो महिलाओं के सामने जो आया, उसी पर कोरड़े बरसाए। इसमें प्रेम झलका। पंजाब और हरियाणा को भाई-भाई यहां हर वक्ता कहकर पुकारता है। इसी का रंग इस पर्व पर देखने को मिला। कोरड़े लेकर पहुंचीं महिलाओं पर आंदोलनकारियों के बीच से कई ने पानी डाला तो उन्होंने कोरड़े मार यहां पर होली की मस्ती को ब्यां किया। कई देर तक यह सिलसिला चला। इससे पहले बॉर्डर पर होलिका दहन भी हुआ था। हालांकि उसमें कृषि कानूनों प्रतियां जलाई गई थी। कोरोना से जुड़े नियमों को भुलाया :
होली पूजन के दिन की तरफ दुल्हंडी पर भी कोरोना से जुड़े नियमों का पालन अधिकतर जगह नहीं हुआ। कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए सरकार की ओर से गाइडलाइन जारी की गई थी। मगर आंदोलन स्थल समेत जहां पर भी होली खेली गई, वहां पर कोरोना के नियम टूटते दिखे। पर्व की मस्ती में गाइडलाइन को सब भूल गए।