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आंदोलन से घिरे हैं पांच पेट्रोल पंप, 67 दिन में सवा करोड़ का नुकसान, 200 लोगों के रोजगार पर संकट

-पीवीसी मार्केट में सीएनजी का सरकारी पंप भी आंदोलन की चपेट में

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Feb 2021 07:10 AM (IST)Updated: Mon, 01 Feb 2021 07:10 AM (IST)
आंदोलन से घिरे हैं पांच पेट्रोल पंप, 67 दिन में सवा करोड़ का नुकसान, 200 लोगों के रोजगार पर संकट
आंदोलन से घिरे हैं पांच पेट्रोल पंप, 67 दिन में सवा करोड़ का नुकसान, 200 लोगों के रोजगार पर संकट

-पीवीसी मार्केट में सीएनजी का सरकारी पंप भी आंदोलन की चपेट में, बिक्री घटी फोटो-26: जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :

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टीकरी बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन में पांच पेट्रोल पंप घिरे हैं। 67 दिनों के अंदर इनका सवा करोड़ से ज्यादा नुकसान हो चुका है। चंद कदम पर स्थित पीवीसी मार्केट में सीएनजी के सरकारी पंप को भी मिला लें तो इन सभी पर कार्यरत 200 लोगों के रोजगार पर संकट है। सब एक ही दुआ कर रहे हैं कि यह आंदोलन खत्म हो जाए। ये सभी पंप दिल्ली सीमा के अंदर हैं। यहीं पर किसानों का पड़ाव है। 26 नवंबर से लेकर अब तक आसपास में स्थित डीलरों के पांच पंप तो बिल्कुल ठप हैं। इनमें से चार रोहतक रोड पर और एक दिल्ली रोड पर है। दो पंप हिदुस्तान पेट्रोलियम के, दो इंडियन ऑयल के और एक भारत पेट्रोलियम का है। पांचों पर पेट्रोल व डीजल के अलावा सीएनजी ईंधन की भी सुविधा है। चंद दूरी पर पीवीसी मार्केट में इंद्रपरस्थ गैस का सरकारी सीएनजी पंप है। वहां भी बिक्री बेहद कम है। यह है नुकसान :

पांच पंपों पर रोजाना 10 हजार किलोग्राम सीएनजी की बिक्री प्रति पंप के हिसाब से होती है। यानी कुल 50 हजार किलोग्राम। इसमें 2.28 पैसे प्रति किलोग्राम पर डीलर शेयर होता है। जो 24 घंटों के अंदर 1 लाख 14 हजार रुपये बनता है। 67 दिनों में यह 76 लाख 38 हजार रुपये बनता है। इन पंपों पर पेट्रोल की बिक्री 24 घंटों के अंदर कुल मिलाकर 10 हजार लीटर और डीजल की 30 हजार लीटर औसतन है। पेट्रोल पर डीलर शेयर 2.80 रुपये और डीजल पर 1.60 रुपये है। 67 दिनों में यह कुल मिलाकर क्रमश: 18 लाख 76 हजार और डीजल पर 32 लाख 16 हजार बनता है। इस तरह से तीनों तरह के ईंधन पर यह नुकसान सवा करोड़ से ज्यादा बनता है। आइजीएल के सरकारी पंप पर रोजाना 20 हजार किलोग्राम सीएनजी बिकती है, मगर वहां पर नफा-नुकसान सरकारी कंपनी का है। रोजगार की चिता :

इन छह ईंधन पंपों पर लगभग 200 लोग काम करते थे। इनमें से 50 फीसद को आने के लिए मना किया गया। बाकी 50 फीसद का वेतन भी आधा किया गया है। एक पंप के मैनेजर ने बताया कि जो हजारों वाहन चालक यहां से सीएनजी रोजाना ईंधन लेते थे, उन्हें भी कहीं ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है।


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