Move to Jagran APP

बहादुरगढ़ में हर साल बिकते रहे हैं पांच करोड़ के पटाखे, दो साल से है बैन, इस बार कितु-परंतु

दिवाली में कुछ दिन शेष रह गए हैं। पटाखों को लेकर इस बार क्या रहेगा इस पर कितु-परंतु की स्थिति है। अभी तक प्रशासन के पास कोई निर्देश नहीं आए हैं। हालांकि पटाखों की बिक्री होगी तो उसके लिए जगह चिन्हित जरूर कर ली गई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Nov 2020 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 09 Nov 2020 07:00 AM (IST)
बहादुरगढ़ में हर साल बिकते रहे हैं पांच करोड़ के पटाखे, दो साल से है बैन, इस बार कितु-परंतु
बहादुरगढ़ में हर साल बिकते रहे हैं पांच करोड़ के पटाखे, दो साल से है बैन, इस बार कितु-परंतु

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : दिवाली में कुछ दिन शेष रह गए हैं। पटाखों को लेकर इस बार क्या रहेगा इस पर कितु-परंतु की स्थिति है। अभी तक प्रशासन के पास कोई निर्देश नहीं आए हैं। हालांकि पटाखों की बिक्री होगी, तो उसके लिए जगह चिन्हित जरूर कर ली गई है। यहां पर हर साल लगभग पांच करोड़ के पटाखे बिकते रहे हैं। दो साल से इनकी बिक्री पर प्रतिबंध रहा। इस बार क्या रहेगा, यह अभी निश्चित नहीं है।

loksabha election banner

बहादुरगढ़ में ज्यादातर पटाखे रोहतक से ही आते रहे हैं। यहां पर पटाखों की बिक्री और स्टोरेज के लिए लाइसेंस होल्डर तो दो ही हैं। मगर दिवाली पर प्रशासन की ओर से अस्थायी तौर पर बिक्री के लिए स्टॉल की अनुमति दी जाती है। जबसे प्रदूषण का मसला गंभीर हुआ है, तबसे बहादुरगढ़ में दिवाली पर पटाखों की बिक्री नहीं रही। वर्ष 2018 और 2019 में बहादुरगढ़ में पटाखों की बिक्री नहीं हुई। इस बार भी अभी तक सरकार की ओर से प्रशासन को कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं। जिला प्रशासनिक अधिकारियों के निर्देश पर उपमंडल स्तर पर पटाखों की बिक्री के लिए जगह तय करने के निर्देश दिए थे, यह कर लिया गया है। 100 से ज्यादा लोग हर बार होते रहे हैं जख्मी

प्रदूषण के कारण दो साल से तो पटाखों की बिक्री नहीं हो रही। पटाखे चलाने पर भी रोक ही रही है। मगर फिर भी आतिशबाजी तो होती है। ऐसे में पूरे क्षेत्र में 100 से ज्यादा लोग कम और ज्यादा तौर पर जख्मी होते रहे हैं। कई जगह पटाखों के कारण आग लगने की घटनाएं भी होती रही हैं। इनमें काफी नुकसान भी हुआ है। वर्ष 2019 में तो सेक्टर-6 में दिवाली की रात एक घर में रॉकेट आकर गिर गया था। उसके कारण आग लग गई और सिलेंडर फट गया। इसमें मकान में काफी नुकसान हुआ था। आग से तो सामान जल गया था और धमाके से बाहरी कमरे के खिड़की व दरवाजे उखड़ गए थे। परिवार ने ऐन वक्त पर घर से बाहर निकलकर जान बचा ली थी, मगर आग और धमाके से परिवार के मुखिया की हालत बिगड़ गई थी। ग्रामीण इलाकों में ईंधन में भी आग की घटनाएं होती हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.