किसान आंदोलन : सर्दी से ज्यादा मुश्किल होगा गर्मी में सड़कों पर डटे रहना, बढ़ती जा रही तपिश
कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में सर्दी से ज्यादा अब ग
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में सर्दी से ज्यादा अब गर्मियों का मौसम आंदोलनकारियों के लिए दिक्कत भरा रहेगा। इसकी झलक अभी से यहां पर साफ देखने को मिल रही है। गर्मी तो अभी पीक पर आने में कुछ दिन और लगेंगे लेकिन आंदोलन स्थल पर गर्मी के कारण ही कई चीजों का अभाव अभी से देखने को मिल रहा है।
आंदोलन स्थल पर दिसंबर-जनवरी के मुकाबले फिलहाल किसानों की संख्या आधी से भी कम है। इसके बावजूद यहां पर जितने आंदोलनकारी डटे हुए हैं उनके लिए दूध, पानी और अन्य कई चीजों की कमी साफ देखी जा सकती है। दूध के लिए कई जगह लंबी-लंबी लाइन लगी होती हैं। वहीं पानी की भी अब दरकार बढ़ रही है। ऐसे में बाईपास पर सड़क को छोड़कर सबमर्सिबल लगाने का सिलसिला चल रहा है। नहाने-धोने के साथ ही पीने के लिए पानी की भी ज्यादा दरकार होगी। इन सबके बीच सड़क पर तपती लू के बीच दिन बिताना मुश्किल होगा। कुछ किसान पंजाब से लग्जरी ट्राली लेकर आ रहे हैं और उनमें एसी भी फिट हैं, मगर 15 किलोमीटर के एरिया में हजारों तंबुओं में लोगों के लिए दिन-रात डटे रहना गर्मी के मौसम में कहीं ज्यादा मुश्किल होगा।
सर्दियों में तो अलाव भी जल रहे थे। तिरपाल और ट्रालियों से बने तंबुओं में रजाइयों के सहारे आसानी से दिन कट रहे थे, लेकिन गर्मियों में अब स्थिति उलट होगी। सर्दियों में जितनी लंबी रातें होती थीं, उसे ज्यादा लंबे दिन अब गर्मियों में होंगे। रातें छोटी होंगी। ऊपर से मच्छर और दूसरी कई परेशानियां गर्मियों में ही ज्यादा होती हैं। कुछ किसान तंबुओं के इर्द-गिर्द पौधों के गमले रखकर गर्मी से मुकाबले की तैयारी कर रहे हैं।