छह माह के अंतराल में ही बना दिए गए थे 1344 फर्जी लाइसेंस
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जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़:
बहादुरगढ़ क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण कार्यालय की ओर से रद किए गए 1344 फर्जी लाइसेंस मात्र छह महीने में ही बना दिए गए थे। सितंबर 2017 से लेकर फरवरी 2018 के बीच से लाइसेंस बने थे। इस अवधि के दौरान बहादुरगढ़ प्राधिकरण में बने 1848 लाइसेंसों की जब विभागीय तौर पर जांच की गई थी तो 1344 लाइसेंस फर्जी होने का खुलासा हुआ था। यहां के फर्जी पतों पर मेवात क्षेत्र के लोगों के ये लाइसेंस बनाए गए थे। सरकारी फीस तो कंप्यूटर के माध्यम से जमा कर ली गई थी लेकिन फाइल व अन्य कागजात इन आवेदकों से कोई भी नहीं लिया गया था। सिर्फ फीस जमा करवाकर प्रिट करके लाइसेंस संबंधित आवेदक को थमा दिए जाते थे। करीब 15 हजार रुपये में यह सारा खेल खेला जाता था। तत्कालीन आरटीए ने जब 1848 लाइसेंस धारकों को एक-एक कर तलब किया तो 1344 फर्जी लाइसेंस पाए गए थे। ऐसे में तत्कालीन आरटीए ने उन्हें रद करते हुए लाइसेंस सीट पर बैठे क्लर्क व संबंधित कंप्यूटर ऑपरेटर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के बारे में भी परिवहन आयुक्त को पत्र लिखा गया था, मगर अब तक कोई कार्रवाई विभाग की ओर से नहीं हुई है। हालांकि गुप्तचर विभाग को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने अपने स्तर पर जांच करके इस मामले में आरटीए के अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। गौरतलब है कि 11 सितंबर को गुप्तचर विभाग के डीएसपी की शिकायत पर यह मामला दर्ज हुआ था। थाना सदर में दर्ज इस मामले की जांच डीएसपी बादली कर रहे हैं। हालांकि अब तक जांच शुरू नहीं हुई है। रिकार्ड लेने के लिए कार्रवाई की जा रही है। एफआइआर की अगर हम बात करें तो शिकायत के अंदर गुप्तचर विभाग के अनुसार इन लाइसेंसों का रिकार्ड ही प्राधिकरण की ओर से मुहैया नहीं कराया गया है तो ऐसे में पुलिस भी तफ्तीश के दौरान कौन सा रिकार्ड हासिल करेगी यह अभी जांच का विषय है।
फर्जी लाइसेंस के मामले की जांच जल्द ही शुरू होगी। इस बारे में रिकार्ड लेकर जांच की जाएगी। इस तरह के मामलों में त्वरित कार्रवाई नहीं होती बल्कि जो भी जांच चलती है वह लंबी चलती है।
-अशोक कुमार, डीएसपी बादली।