आंख और पैर की चोट ने रोके दीपक पूनिया के कदम, फाइनल कुश्ती नहीं लड़ पाए
?????????? ??? ?????? ?????? ?????? ?????????? ?? ?? ?????? ??????? ????? ????? ??????? ?? ???? ? ?? ??? ????? ????? 24 ????? ?? ?????? ?? ?????? ??? ???? ?? ???? ???? ?? ??? ???? ?????? ?? ????? ??? ???? ?? ?????? ?? ??????? ???? ??? ???? ?? ??? ??? ?????? ?????? ?????????? ??? ???? ?????? ?? ??? ?? ??? ??? ?? ????? ??? ?? ??? ?? ??? ???? ?? ??? ??? ?????? ?? ????
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :
कजाखिस्तान में आयोजित वर्ल्ड कुश्ती चैंपियनशिप का वह कुश्ती मुकाबला देखना झज्जर वासियों को नसीब न हो सका, जिसका पिछले 24 घंटों से बेताबी से इंतजार था। यहां के गांव छारा के लाल दीपक पूनिया का फाइनल में ईरान के पहलवान से मुकाबला होना था। पहली ही बार में सीनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में दीपक स्वर्ण से महज एक कदम दूर थे, लेकिन आंख और पैर की चोट बाधा बन गई। चोट ज्यादा थी, इसलिए दीपक को मजबूरन यह मुकाबला छोड़ना पड़ा। अब वे रजत पदक लेकर लौटेंगे। इन हालातों में दीपक के परिवार, कोच और तमाम खेल प्रशंसकों को निराशा जरूर हुई है, लेकिन अब सभी को उस दिन का इंतजार है जब दीपक ओलम्पिक में देश के लिए कुश्ती के मैट पर उतरेंगे।
दरअसल, आंख और पैर की चोट की वजह से शनिवार रात में ही दीपक के फाइनल खेलने पर संशय बन गया था। दीपक से रविवार की सुबह उनके पिता सुभाष, मां कृष्ण और अन्य परिजनों ने बात की थी। वाट्सएप वीडियो कालिग में दीपक ने आंख और पैर की चोट उन्हें दिखाई थी। साथ ही यह भी बता दिया था कि वह फाइनल कुश्ती शायद ही लड़ पाए। तभी परिजनों को निराशा हुई थी, मगर उन्होंने इसे जाहिर नहीं किया। दीपक के पिता सुभाष का कहना है कि अब तो टोक्यो ओलम्पिक का इंतजार है। उसमें दीपक पदक ले आया तो इस स्वर्ण का मलाल नहीं रहेगा। वहीं मां कृष्णा वापस लौटने पर दीपक को अपने हाथ से चूरमा और हलवा खिलाने को बेताब है। इधर, छारा में दीपक के कोच रहे वीरेंद्र पहलवान आखिर तक इस प्रयास में रहे कि किसी तरह दीपक फाइनल खेलने के लिए फिजीकल फिट हो जाए। उन्होंने फोन पर संपर्क के प्रयास किए। मगर ऐसा नहीं हो सका। वीरेंद्र बोले, कि इससे निराशा सभी को हुई है, मगर असली लक्ष्य ओलम्पिक है।