डाक्टर ने आपदा में ढूंढ़ा अवसर, लॉकडाउन में फलों के बीज फेंके नहीं, उगाए सैकड़ों पौधे
लॉकडाउन में जब बहुत से लोगों को सिर्फ कोरोना से बचाव की सूझ रही थी तब एक सोच आत्मसुरक्षा के साथ प्रकृति को सहेजने में भी जुटी थी। घर में जो फल लाए जा रहे थे उनके बीज बाहर नहीं नहीं फेंके गए।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : लॉकडाउन में जब बहुत से लोगों को सिर्फ कोरोना से बचाव की सूझ रही थी, तब एक सोच आत्मसुरक्षा के साथ प्रकृति को सहेजने में भी जुटी थी। घर में जो फल लाए जा रहे थे, उनके बीज बाहर नहीं नहीं फेंके गए। वे जमा किए गए। अब उन बीजों से ही सैकड़ों पौधे तैयार हो गए हैं। इन्हें खाली स्थानों पर लगाया जा रहा है। आपदा के बीच प्रकृति के इन पहरेदारों (पौधे) को उगाने का यह अवसर ढूंढ़ा बहादुरगढ़ के डा. अजय जैन ने। उनकी इस कोशिश ने बीजों को कूड़ा बनने से रोका और उनसे हरियाली का नया परिवार बसा दिया। करीब 300 पौधे किए तैयार
लॉकडाउन में हर किसी की दिनचर्या घर की दहलीज तक सीमित थी। ऐसे में डा. अजय जैन ने घर में जितने भी फल आए, उनके बीज एकत्रित कर लिए। उनसे पौधे उगाने शुरू हुए। इस तरह से करीब 300 पौधे तैयार कर लिए। इनमें शहतूत, अनार, पपीता, मौसमी, नींबू शामिल हैं। इसके अलावा उनके घर के आसपास जो शीशम व नीम के बीज बिखरे थे, वे भी एकत्रित कर लिए। घर और बाहर लगा चुके हजारों पौधे
शहर में मिशन अस्पताल के संचालक डा. अजय जैन यहां की क्लीन एवं ग्रीन एसोसिएशन से जुड़े हैं और अब तक हजारों पौधे लगा चुके हैं। वे करीब 10 साल से इस हरित मिशन में जुटे हैं। आम दिनों में पौधे लाते हैं और जहां जगह मिले उन्हें लगाते हैं। अब तक दो जगह मिनी जंगल तैयार किए हैं। छोटे एरिये में निर्धारित फासले पर सैकड़ों पौधे लगाए हैं, ताकि बड़े न सही, लेकिन छोटे-छोटे जंगल तो बचे रह सकें।