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88.68 लाख की ऑनलाइन ठगी के मामले में उजागर हुई नप की घोर लापरवाही

प्रधानमंत्री आवास योजना के खाते से चेक क्लोनिग करके 88.68 लाख रुपये उड़ा लेने के मामले में नप प्रशासन की घोर लापरवाही उजागर हुई है। नप की ओर से इस मामले को दबाने की पूरी कोशिश की गई

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 06:01 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 06:01 AM (IST)
88.68 लाख की ऑनलाइन ठगी के मामले में उजागर हुई नप की घोर लापरवाही
88.68 लाख की ऑनलाइन ठगी के मामले में उजागर हुई नप की घोर लापरवाही

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: नगर परिषद के प्रधानमंत्री आवास योजना के खाते से चेक क्लोनिग करके 88.68 लाख रुपये उड़ा लेने के मामले में नप प्रशासन की घोर लापरवाही उजागर हुई है। नप की ओर से इस मामले को दबाने की पूरी कोशिश की गई, लेकिन पुलिस की जांच में अब धीरे-धीरे इस मामले की परत दर परत खुलती जा रही हैं। अब तक की जांच में पता चला है कि नप की ओर से पीएम आवास योजना का खाता खुलवाते समय ही फार्म पर चेक बुक के विकल्प को येस किया था। यहां सवाल उठता है कि जब इस खाते की सारी ट्रांजेक्शन ही पीएफएमएस के तहत होती है तो चेक बुक का विकल्प क्यों चुना।

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पुलिस की जांच में यह भी पता चला कि आइडीबीआइ बैंक की ओर से पीएम आवास योजना के इस खाते की जो चेक बुक जारी की गई वह नप कार्यालय में अब तक नहीं मिली है। पुलिस की ओर से पैसे निकालने में जो चेक प्रयोग किए गए, वो इसी चेक बुक के थे। चेक असली हैं या नकली, इनकी जांच के लिए चेक एफएसएल को भेजे जाएंगे। अब सवाल यह है कि अगर यह चेक बुक गायब थी तो इसकी रिपोर्ट अब तक नप की ओर से क्यों नहीं की गई।

नप की दूसरी लापरवाही यह सामने आई है कि इस खाते में जो मोबाइल नंबर दिया गया था, वह बायोमीट्रिक मशीन पर लगा रखा था। ऐसे में इस मोबाइल पर पैसे निकाले जाने के संदेश सिस्टम की ओर से आते रहे लेकिन यह नंबर किसी के मोबाइल में न होने की वजह से पैसे निकाले जाने की सूचना नप प्रशासन को नहीं मिल सकी। अगर यह नंबर नप के किसी अधिकारी के मोबाइल में चालू होता तो पैसों की पहली ही निकासी में पता चल जाता और ऑनलाइन ठगी से निकाले गए लाखों रुपये बच जाते। वहीं सवाल यह भी है कि अगर इस खाते का मोबाइल नंबर बायोमीट्रिक मशीन पर लगा दिया तो कोई दूसरा नंबर इस खाते से जोड़ना चाहिए था, ताकि बैंक के संदेश मिलते रहते। मगर नप अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया। यह है मामला

दरअसल, जुलाई व अगस्त माह में नप के पीएम आवास योजना के खाते से धोखाधड़ी करके 88.68 लाख रुपये निकाल लिए गए थे। नप के कार्यकारी अधिकारी की शिकायत पर थाना शहर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी। पुलिस की टीम इस मामले में लगातार 11 दिनों तक बिहार में भी जांच करके आई है। दिल्ली के जिस बैंक में चेक लगाए गए थे, वहां से भी रिकार्ड जुटाया गया। इस बीच बिहार की छानबीन से पता लगा कि शातिर ने एक-दो नहीं बल्कि 10 से ज्यादा खातों में पैसे ट्रांसफर करके एटीएम से निकाले थे। जितने भी खातों में पैसे ट्रांसफर हुए, वे बिल्कुल साफ कर दिए गए।

बता दें कि जिस खाते में चेक से पैसे ट्रांसफर करवाए गए, वह बिहार के गोपालगंज की शाखा का है, मगर चेक दिल्ली में लगाए गए थे। पैसे 23 जुलाई से 17 अगस्त के बीच निकाले गए। मामले की जांच की जा रही है। आइडीबीआइ की चैक बुक नप कार्यालय में रिसीव तो हुई है लेकिन अब तक हमें नहीं मिली है। दूसरा जो मोबाइल बैंक खाते से जुड़ा हुआ था, वो बायोमीट्रिक मशीन पर लगा रखा था। इसके अलावा मामले से जुड़ा हर डाक्यूमेंट्री प्रूफ जुटाया जा रहा है। मामले में जो भी दोषी मिलेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

- सुनील कुमार, एसएचओ, शहर थाना पुलिस, बहादुरगढ़


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