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100 साल बाद योग, शुभ मुहूर्त में लाएंगे बप्पा तो विघ्न होंगे दूर

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: रिद्धी-सिद्धि के दाता गणपति बप्पा बृहस्पतिार को घर-घर आएंगे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 11:50 PM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 11:50 PM (IST)
100 साल बाद योग, शुभ मुहूर्त में लाएंगे बप्पा तो विघ्न होंगे दूर
100 साल बाद योग, शुभ मुहूर्त में लाएंगे बप्पा तो विघ्न होंगे दूर

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़:

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रिद्धी-सिद्धि के दाता गणपति बप्पा बृहस्पतिार को घर-घर आएंगे। गणेश चतुर्थी उत्सव 13 सितंबर से शुरू हो रहा है। इसकी तैयारियों में पूरा शहर जुट गया है। यह उत्सव 13 से 23 सितंबर तक मनेगा, लेकिन इस बार खास यह है कि गणेशोत्सव बेहद शुभ योग में शुरू हो रहा है। 13 सितंबर को ही गुरु स्वाति योग भी बन रहा है। ज्योतिषियों के मुताबिक यह अत्यंत दुर्लभ और शुभ योग करीब सैकड़ों वर्ष के बाद बनने जा रहा है। ज्योतिषाचार्य पंडित प्रवीण शास्त्री के अनुसार इस दिन श्रीगणेश की मूर्ति को स्थापित करना बेहद शुभ है। इस योग में घर में बने मंदिर में भी मूर्ति स्थापित करना शुभ माना जाता है। इस दिन बृहस्पतिवार होने से यह देवताओं के गुरु का दिन है। इसलिए इस नक्षत्र और वार में रिद्धी सिद्धि के दाता भगवान श्रीगणेश की स्थापना करने से घर परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। उन्होंने बताया शुभ नक्षत्र में श्रीगणेश का आगमन सर्वत्र शुभ फल प्रदाता माना गया है। भाद्रपद मास की चतुर्थी पर इस प्रकार का संयोग करीब 100 साल बाद बना है। उन्होंने बताया चतुर्थी तिथि के देवता भगवान गणेश हैं, जो रिद्धि सिद्धि प्रदान करते हैं। गुरु जिन्हें ज्ञान का प्रदाता माना गया है। गुरु स्वाति योग में 10 दिवसीय गणेशोत्सव में विधिवत पूजा मनोवाछित फल प्रदान करने वाला रहेगा। दस दिन मनेगा उत्सव

गणेश उत्सव के पहले दिन गणेश भगवान की प्रतिमा घर में स्थापित की जाती है। पूरे दस दिन तक उनकी विधि-विधान से पूजा कर आखिरी दिन गणेश विसर्जन किया जाता है। पंडितों के अनुसार ये लोगों की श्रद्धा पर निर्भर करता है कि वे गणपति को कितने दिन के लिए अपने घर लाते हैं। कई लोग 1 दिन, तीन दिन, पाच दिन या सात दिन के लिए भी बप्पा को घर लाते हैं। उसके बाद उनका विसर्जन करते हैं। बहादुरगढ़ में भी यह उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। रोहतक रोड स्थित गणपति धाम में 13 सितंबर को दही हाडी से इस दस दिवसीय कार्यक्रम का शुभारभ होगा। साथ ही मेन बाजार में भी पूरे 10 दिन तक यह उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन होंगे सारे विघ्न दूर

वैदिक पंचागों के मुताबिक चतुर्थी तिथि के दिन गुरु स्वाति संयोग होने से श्रीगणेश मूर्ति की स्थापना सुख समृद्धि के साथ सर्व सिद्धिदायक भी होती है। उनका कहना है कि स्वाति नक्षत्र को कार्य सिद्ध नक्षत्र माना गया है। इस नक्षत्र के अधिपति देवता वायुदेव होते हैं। इस नक्षत्र के चारों चरण तुला राशि के अंतर्गत आते हैं, जिसका स्वामी शुक्र है। शुक्र धन, संपदा, भौतिक वस्तुओं और हीरे का प्रतिनिधि ग्रह है। बाजार में 600 से लेकर 4 हजार तक की मिल रही गणेश की प्रतिमा

इस बार गणेश की प्रतिमा फाइबर आदि से नहीं बनाई गई है। फाइबर से प्रतिमा बनाने पर रोक लग गई है। ऐसे में बहादुरगढ़ में कारीगरों द्वारा चाक की मिट्टी से प्रतिमाएं बनाई गई है। पानी में विसर्जित होने के बाद चाक की मिट्टी पानी में ही घुल जाती है, इसी के चलते इस मिट्टी से गणेश की प्रतिमाएं बनाई गई है। सिटी पार्क मेट्रो स्टेशन के पास प्रतिमाओं की बिक्री करने वाले गोपी ने बताया कि गणेश की प्रतिमाएं 600 से लेकर 4 हजार रुपये तक में बिक रही है।


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