सरकारी स्कूल में 16 कमरे, 12 बरसाती पानी में डूबे, महज चार कमरों में कैसे लगे सात कक्षाएं
अब सात कक्षाओं में यहां पर 364 विद्यार्थी हैं और इनके बैठने के लिए महज चार कमरे। जाहिर है कि ऐसे में स्कूल खुलने का भी फायदा नहीं।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :
गांवों के सरकारी स्कूलों में एक तरफ तो बुनियादी सुविधाओं का भी घोर अभाव है तो दूसरी ओर कई स्कूल इन दिनों बरसाती पानी में डूबे हुए हैं। रोहद गांव के स्कूल की हालत तो यह है कि यहां पर 16 कमरे हैं, जिनमें से 12 तो पानी में डूबे हुए हैं। अब सात कक्षाओं में यहां पर 364 विद्यार्थी हैं और इनके बैठने के लिए महज चार कमरे। जाहिर है कि ऐसे में स्कूल खुलने का भी फायदा नहीं। ऐसे में कोरोना शांत हुआ तो अब जलभराव का पढ़ाई पर ग्रहण लगा हुआ है। ताज्जुब की बात तो यह है कि यहां पर खेतों का पानी गांव के वाटर वर्क्स में आकर जमा होता है वहां से पानी निकालने के लिए स्कूल की दीवार को तोड़ा गया है। उसी से वाटर वर्क्स में जमा हुआ पानी आखिर में स्कूल भवन में आकर ठहरता है। इन दिनों पूरा स्कूल किसी तालाब से कम नहीं है। यह पर जो चार कमरे बाद में बने तो उनका लेवल ऊंचा है, लेकिन इन चार कमरों में छठी से लेकर बारहवीं तक की सात कक्षाएं कैसे लगे। यहां के प्राचार्य ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि कुछ कक्षाओं को आनलाइन ही पढ़ाया जा रहा है। बाकी की पढ़ाई स्कूल में होती है। सुबह और दोपहर के समय दो पाली में आनलाइन कक्षाएं लगानी पड़ती है। पहले दो बार स्कूल में जमा हुआ पानी तो निकाल दिया था, लेकिन अभी पानी नहीं निकल पा रहा है। इन स्कूलों में भी है दिक्कत :
रोहद के अलावा दहकोरा, लुक्सर, नूना माजरा के दो स्कूलों में भी इसी तरह पानी भरा हुआ है। इसकी निकासी नहीं हो पा रही है। यहां पर भी विद्यार्थी और शिक्षक परेशान हो रहे हैं। प्रशासन और विभाग के स्तर पर अभी तक इस दिशा में कोई भी कदम नहीं उठाया गया है। वर्जन..
खंड के कई स्कूलों में जलभराव की समस्या है। लुक्सर स्कूल को लेकर बादली उपमंडल कार्यालय को पत्र लिखा गया है। बाकी स्कूलों से निकासी के इंतजाम किए जा रहे हैं।
--निर्मल शर्मा, बीईओ, बहादुरगढ़