सालों बाद रेल बजट में खस्ताहाल क्वार्टरों की मरम्मत के लिए जगी उम्मीद की किरण
छावनी की रेलवे कालोनी में सरकारी क्वार्टरों की हालात बेहद खस्ता होने के कारण लोग मौत के साये में जीने को मजबूर हैं।
जागरण संवाददाता, अंबाला : छावनी की रेलवे कालोनी में सरकारी क्वार्टरों की हालात बेहद खस्ता होने के कारण लोग मौत के साये में जीने को मजबूर हैं। लेकिन सालों से किसी ने इन खस्ताहाल क्वार्टरों की सुध लेना तक नहीं जरूरी समझा। कुछ नए क्वार्टर बनाए जा रहे है तो उनके लिए पहले ही सिफारिशी कर्मियों को अॅलाटमेंट की प्रक्रिया चल रही है। निचले स्तर के रेल कर्मियों के क्वार्टरों पर किसी का ध्यान नहीं है। लेकिन लंबे समय बाद इस बार जारी किए गए रेल बजट में इन कंडम और खस्ताहाल क्वार्टरों की मरम्मत के लिए रेलमंत्री ने कुछ बजट जरूर जारी किया है जिससे कर्मियों को एक उम्मीद की किरण जरूर नजर आ रही है।
अगर कॉलोनी में 126 नंबर ब्लॉक में तकरीबन सारे क्वार्टर अंदर व बाहर से बुरी तरह जर्जर हो चुके हैं। यदि जल्द इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो किसी हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता। जहां दीवारों में सीलन आ गई है, वहीं दीवार से प्लास्टर भी उखड़ रहे हैं। यहां रहने वाली महिलाओं का कहना है कि बारिश होने पर छतों से पानी टपकने लगता है। यहां तक पानी निकासी की सही व्यवस्था न होने से यहां पर क्वार्टर के अंदर पानी घुस जाता है। उनका कहना है कि लोगों को स्वच्छ पानी नसीब नहीं होता। सीवरेज सही से काम नहीं करता। यहां पर कर्मचारी भी सफाई नहीं करने आते। कहने के लिए रेलवे का क्वार्टर है, लेकिन इन क्वार्टरों की सुधारने के लिए कोई उचित कार्रवाई नहीं होती। वहीं दरवाजे, खिड़की भी टूट गए हैं, लेकिन रेलवे प्रशासन की तरफ इन क्वार्टरों की तरफ ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने खस्ताहाल क्वार्टर को दुरूस्त करने की मांग की।
कई बार लेंटर के पैच गिरने से हो चुके हादसे
वहीं कॉलोनी में सनातन धर्म मंदिर के सामने बिलकुल गली में दो अलग-अलग लाइनों में बने क्वार्टरों में तो कई हादसे भी हो चुके है। लेंटर के पैचवर्क यहां रहने वाले लोगों पर गिरने से वह घायल तक हो चुके है। इसके बावजूद किसी ने इनकी हालत ठीक करवाने का जिम्मा लेना जरूरी नहीं समझा। इसके अलावा यहीं गली नंबर तीन में कुछ नए क्वार्टर तैयार किए जा रहे हैं। लेकिन इनमें से किसी निचले स्तर के कर्मी को इनमें से कोई क्वार्टर अलॉट नहीं होने वाला। क्योंकि इससे पहले भी सिफारिशी कर्मियों को नए क्वार्टर मिल गए थे और दूसरे देखते रह गए थे।