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9 हजार प्रति माह का लालच देकर साल भर मुफ्त में कराया काम

9 हजार रुपये प्रति माह वेतन का लालच देकर जिला बाल कल्याण समिति के अधीन अनुबंध आधार पर कार्यरत साहिल चन्ना का 12 माह तक शोषण किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 01:41 AM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 01:41 AM (IST)
9 हजार प्रति माह का लालच देकर साल भर मुफ्त में कराया काम
9 हजार प्रति माह का लालच देकर साल भर मुफ्त में कराया काम

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर: 9 हजार रुपये प्रति माह वेतन का लालच देकर जिला बाल कल्याण समिति के अधीन अनुबंध आधार पर कार्यरत साहिल चन्ना का 12 माह तक शोषण किया गया। 30 सितंबर को एक साल का अनुबंध खत्म हो गया लेकिन उसे विभाग से एक फूटी कौड़ी नहीं मिली। हारकर साहिल ने सीएम ¨वडो पर फरियाद लगाई। एक माह बाद वहां से भी उसे इंसाफ नहीं मिला। जवाब दिया गया कि आप लेबर कोर्ट में केस डालें। इसी तरह, जिला महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन एक अन्य युवती की गत वर्ष सितंबर माह में अनुबंध आधार पर नियुक्ति हुई थी। युवती ने वेतन नहीं मिलने के कारण छह माह बाद त्याग पत्र दे दिया था।

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अधिकारों की रक्षा करने वाले विभाग में ही शोषण

बता दें कि सीडब्ल्यूसी यानी बाल कल्याण समिति जोकि बच्चों के कल्याण के लिए काम करती है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी का कार्यालय भी यहीं है। सीडब्ल्यूसी और डीसीपीओ दोनों जिला महिला एवं बाल कल्याण विभाग के अधीन आते हैं। इस तरह अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया विभाग ही वेतन का लालच देकर एक युवक और युवती का साल भर तक शोषण करता रहा। वेतन न मिलने से सदमे में चल रहे साहिल को एक दिन अधिकारियों ने फाइल लेकर पंचकूला पहुंचने के निर्देश दिए। कहा कि जल्दी नहीं पहुंचा तो वेतन नहीं मिलेगा। हड़बड़ी में साहिल रास्ते में हादसे का शिकार हो गया। करीब एक माह बिस्तर पर रहने के बाद अब ठीक हुआ है लेकिन अधिकारियों का दिल नहीं पसीजा।

क्यों नहीं मिला वेतन

दरअसल शुरुआत में ठेकेदार ने वेतन के बिल बनाकर नहीं भेजे। जब मामला सभी की पहुंच से बाहर हो गया तब ठेकेदार ने कह सुनकर बिल तो तैयार कर दिए लेकिन सारे बिल डीसी रेट के हिसाब से बनाए। इसे विभाग ने रिजेक्ट कर दिया, क्योंकि वेतन 9 हजार ही देना था। इस तरह मामला लटकता रहा। जब सीएम ¨वडो पर साहिल ने फरियाद डाली तब डीपीओ ने पूरा उसी हिसाब से बिल बनाकर अंतिम मंजूरी के लिए डीसी को भेज दिया। डीसी ने यह फाइल सिटी मजिस्ट्रेट के सुपुर्द कर दी। सिटी मजिस्ट्रेट ने इस पर फिर आपत्ति लगा दी, क्योंकि साहिल व युवती दोनों ठेके पर लगे थे। इनको विभाग सीधे तौर पर वेतन नहीं दे सकता। साथ ही कहा कि वह कोर्ट के माध्यम से वेतन ले सकता है।

हमारी तरफ से देरी नहीं

जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी बलजीत कौर ने बताया कि हमारी ओर से जरा भी देरी नहीं हुई। मैंने कई बार विभाग से इस बारे में पत्राचार किया लेकिन स्पष्ट निर्देश नहीं मिले। सीएम ¨वडो से मामला आने के बाद भी मैंने सभी बिल बनाकर डीसी मैडम को दे दिए थे। करीब एक लाख के आसपास का बिल था लेकिन उस पर आपत्ति लग गई है। सोमवार को हमारा प्रयास रहेगा कि साहिल को वेतन दिला दिया जाए।


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