पैरालिपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले योगेश कथूनिया का जोरदार स्वागत
टोक्यो पैरालिपिक में डिस्कस थ्रो में सिल्वर मेडल जीतने वाले योगेश कथूनिया का रविवार को नारायणगढ़ में जोरदार स्वागत किया गया। वे रविवार को गांव हुसैनी स्थित दूधाधारी अखाड़ा पहुंचे। यहीं से उन्होंने कोच लखविदर सिंह की देखरेख में शुरुआत की थी। यहां पहुंचने पर लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया।
संवाद सहयोगी, नारायणगढ़ : टोक्यो पैरालिपिक में डिस्कस थ्रो में सिल्वर मेडल जीतने वाले योगेश कथूनिया का रविवार को नारायणगढ़ में जोरदार स्वागत किया गया। वे रविवार को गांव हुसैनी स्थित दूधाधारी अखाड़ा पहुंचे। यहीं से उन्होंने कोच लखविदर सिंह की देखरेख में शुरुआत की थी। यहां पहुंचने पर लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। यहां पहुंचने पर उन्होंने कोच के पांव छू कर उनका आशीर्वाद लिया।
योगेश ने बताया कि गांव हुसैनी यमकेश्वर के दूधाधारी अखाड़े में उसे कोच लखविन्द्र सिंह से बहुत कुछ सीखने को मिला। आज वह अपने गुरु के कारण ही इस मकाम पर हैं। को लखविन्द्र सिंह ने बताया कि उनके अखाड़े से अब तक करीब 40 बच्चे निकले हैं जिन्होंने राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता तक में जीत हासिल की हे। इस अवसर पर कोच अंकित, सुरेन्द्र मोहन, पप्पू पहलवान, मांगा पहलवान, पोला पहलवान, रामबीर, भोला सहित अन्य मौजूद रहे।
---------------------- सावन कृपाल रूहानी मिशन ने लगाया शिविर, 71 ने किया रक्तदान
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : संत दर्शन सिंह महाराज के जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर सावन कृपाल रूहानी मिशन की अंबाला शहर शाखा की ओर से गीता नगरी स्थित कृपाल आश्रम में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें 71 लोगों ने स्वैच्छिक रूप से रक्तदान किया, जिनमें वार्ड नंबर 5 के निगम पार्षद राजेश मेहता और 2 के पार्षद फकीर चंद ने भी रक्तदान किया। शिविर में शारीरिक दूरी और अन्य सुरक्षा नियमों का भी पालन किया गया।
शिविर का मुख्य उद्देश्य दुर्घटनाग्रस्त हुए लोगों को रक्त की पूर्ति कराने के साथ-साथ हृदय में रक्तदान के प्रति जागरूकता फैलाना है। मिशन द्वारा समय-समय पर मानवता की सेवा के लिए रक्तदान शिविरों का आयोजन किया जाता है, जोकि अपने आप में एक सराहनीय कदम है।
मिशन के प्रवक्ता ने बताया कि एक स्वस्थ व्यक्ति जिसकी उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच है और अगर उसका वजन 50 किलो से अधिक है तो वह नि:संकोच होकर रक्तदान कर सकता है, जिससे कि उसे किसी भी प्रकार की कोई शारीरिक कमजोरी नहीं आती बल्कि जो व्यक्ति रक्तदान करते हैं उन्हें हार्ट-अटैक होने की संभावना बहुत ही कम हो जाती है और रक्तदान करने से कैंसर व अन्य दूसरी जानलेवा बीमारियों के होने का खतरा भी कम हो जाता है। इसीलिए आज के दौर में युवा वर्ग रक्तदान के प्रति जागरूक हो रहा है।