Move to Jagran APP

विज बने खुद के स्टार प्रचारक, अकेले दम पर जीते

जिले की चार विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में कोई न कोई स्टार प्रचारक के रूप में आया और जनता से रूबरू होकर वायदे किए। इन सभी स्टार प्रचारकों ने अपने प्रत्याशी के लिए वोट मांगे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 08:54 AM (IST)Updated: Fri, 25 Oct 2019 08:54 AM (IST)
विज बने खुद के स्टार प्रचारक, अकेले दम पर जीते
विज बने खुद के स्टार प्रचारक, अकेले दम पर जीते

दीपक बहल, अंबाला: जिले की चार विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में कोई न कोई स्टार प्रचारक के रूप में आया और जनता से रूबरू होकर वायदे किए। इन सभी स्टार प्रचारकों ने अपने प्रत्याशी के लिए वोट मांगे। भाजपा के स्टार प्रचारकों की बात करें, तो प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, सांसद हंसराज हंस जैसे कई दिग्गज अंबाला की नारायणगढ़, मुलाना और अंबाला शहर विधानसभा सीट पर चुनाव प्रचार के लिए आए। महज अंबाला छावनी विधानसभा ऐसी रही, जहां पर भाजपा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज खुद ही अपने चुनाव प्रचार में जुटे रहे। इस बीच जब मीडिया से विज रूबरू हुए, तो वे बोले अंबाला छावनी की जनता ही उनके लिए स्टार से कम नहीं है। हालांकि अंबाला शहर में भी असीम गोयल के लिए भाजपा के दिग्गज मैदान में जुटे रहे। इनमें सीएम मनोहर लाल, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, केंद्रीय राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया, सांसद हंसराज हंस प्रचार करने के लिए आए। इसी प्रकार नारायणगढ़ में भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह के प्रचार के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रचार के लिए आए। जबकि मुलाना में राजबीर बराड़ा के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल आए।

loksabha election banner

------------------------------------------

----------------------------

सुषमा ने इस्तीफा दिया तो विज को मिली थी टिकट

अंबाला छावनी सीट से विधायक रहीं सुषमा स्वराज ने करनाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा तो छावनी सीट से इस्तीफा दिया। सीट खाली थी और भाजपा ने उपचुनाव में 1990 में अनिल पर दाव लगाया। पहली बार में ही विज ने मैदान मार लिया। 1991 में हुए विधानसभा चुनावों में अनिल विज चुनाव हार गए। उन्हें भाजपा युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया। वर्ष 1995 में भाजपा को अलविदा कह दिया। अनिल विज 1996 में निर्दलीय विधायक बने। सन 2000 में भी अनिल विज को कैंट के लोगों ने बतौर निर्दलीय ही विधानसभा में भेजा। भाजपा को अनिल विज की कमी पूरी करने वाला कोई नेता नहीं मिल रहा था। 2005 भाजपा के वरिष्ठ नेता विज को फिर से भाजपा में ले आए। वह कांग्रेस के डीके बंसल से महज 615 वोटों से शिकस्त खा गए। इसके बाद हुए 2009 व 2014 के चुनाव में लगातार दो बार जीत दर्ज की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.