इस बड़ी बीमारी से दंपती की मौत, बच्चे भी आ गए चपेट में, अब नहीं मिल रहा कहीं ठिकाना
हरियाणा के अंबाला जिले में एक दंपती की एड्स से मौत हो गई। इसके बाद उनके दो बच्चों को भी इस रोग ने अपनी चपेट में ले लिया। अब इन बच्चों को कहीं ठिकाना नहीं मिल रहा है।
अंबाला, [हरीश कोचर]। एचआइवी पीडि़त दंपती की मौत के बाद उनके बच्चे दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हो गए हैैं। 14 साल का बेटा व 10 साल की बेटी भी एचआइवी से ग्रस्त है। मां-बाप का साया उठ जाने के बाद रिश्तेदारों और अपनों ने भी साथ छोड़ दिया और उन्हें अपने साथ रखने से इंकार कर दिया। सीडब्ल्यूसी ने दोनों की काउंसिङ्क्षलग कराई और पंचकूला ओपन शेल्टर होम में भेजा, लेकिन वहां भी इन्हें रखने से इंकार कर दिया गया। सीडब्ल्यूसी ने दबाव डाला तो लड़की को होम में रखा गया और उसके भाई को शहर के टीबी अस्पताल में दाखिल कराया गया है।
सीडब्ल्यूसी की काउंसलिंग के बाद बच्चों को पंचकूला ओपन शेल्टर होम में किया गया था शिफ्ट
शहर निवासी यह दंपती कई सालों से एचआइवी ग्रसित था। उनका पहले लड़का हुआ और फिर लड़की। जांच कराने पर पता चला कि यह दोनों बच्चे भी इस बीमारी से पीडि़त हैं। इसके बाद बच्चों का शहर जिला नागरिक अस्पताल में इलाज चल रहा है। लेकिन छह माह पूर्व इन बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया और बीती 25 फरवरी को मां की भी मौत हो गई। रिश्तेदारों ने दोनों बच्चों को रखने से इंकार कर दिया।
ओपन शेल्टर होम ने रखने से किया इन्कार
किसी तरह दोनों बच्चे सीडब्ल्यूसी के पास पहुंचे। अंबाला में कोई शेल्टर होम या चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट (सीसीआइ) नहीं होने के कारण करीब 10 दिन पूर्व उन्हें पंचकूला ओपन शेल्टर होम में भेज दिया गया। शेल्टर होम के अधिकारी दोनों बच्चों को रखने के लिए तैयार नहीं थे।
सीडब्ल्यूसी की टीम ने दबाव बनाया तो लड़की को वहां रख लिया गया लेकिन लड़के को टीम अंबाला वापस ले आई। यहां उसे टीबी अस्पताल में ले गए तो डॉक्टर ने बिना अटेंडेंट रखने से इंकार कर दिया। इसके बाद बच्चे के साथ चाइल्डलाइन कर्मी को बतौर अटेंडेंट छोड़ा गया। सीडब्ल्यूसी टीम ने बच्चे की देखभाल के लिए सिविल सर्जन को पत्र लिखा है। एसपी के रीडर और सिटी थाना इंचार्ज को भी बच्चे की सुरक्षा के लिए कर्मी तैनात की बात की गई, लेकिन शाम कोई जवाब नहीं दिया गया था।
कुरुक्षेत्र या करनाल में चल रही बातचीत
'' बच्चों को पंचकूला शेल्टर होम में संबंधित अधिकारियों ने रखने से इंकार कर दिया था। लड़के को टीबी की दिक्कत के कारण वापस अंबाला लाकर बड़ी मुश्किल से टीबी अस्पताल में दाखिल कराया गया है। हालांकि दबाव डाला गया तो लड़की को फिलहाल होम में रखा गया है। होम संचालकों का कहना है कि ऐसे बच्चों को रखने के लिए उनके पास कोई व्यवस्था नहीं है।
- मोहित अग्रवाल, सदस्य, सीडब्ल्यूसी।