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ट्रांसपोर्टर की हड़ताल का विकल्प बन रहे छोटे वाहन, नहीं दिख रहा असर

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : ट्रांसपोर्टर लगातार दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहे। शुक्रवा

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 07:48 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 07:48 PM (IST)
ट्रांसपोर्टर की हड़ताल का विकल्प बन 
रहे छोटे वाहन, नहीं दिख रहा असर
ट्रांसपोर्टर की हड़ताल का विकल्प बन रहे छोटे वाहन, नहीं दिख रहा असर

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : ट्रांसपोर्टर लगातार दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहे। शुक्रवार को जबरन ट्रकों के पहिये थामने की घटनाओं के बाद शनिवार को ऐसा देखने को नहीं मिला। वहीं, हड़ताल के चलते रोजमर्रा के आपूर्ति पर अभी कहीं कोई असर नहीं है। जो लोग अपने खुद के ट्रक चला रहे हैं वह इस हड़ताल से दूर हैं। दिल्ली से आने वाले प्याज, टमाटर व पहाड़ी क्षेत्र से आने वाली सब्जी के लिए ट्रकों के बजाय पिकअप जैसे छोटे वाहन विकल्प बन रहे हैं। शनिवार को शहर नई सब्जी मंडी व छावनी की सब्जी मंडी में कहीं असर नहीं रहा। हालांकि, आढ़तियों का मानना है कि हड़ताल लंबी खींचने पर हालात बिगड़ सकते हैं।

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एसोसिएशन ने बैठक कर जताए इरादे

हड़ताल के दूसरे दिन अंबाला सिटी गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने शहर स्थित अंबा मार्केट में अपनी बैठक की। एसोसिएशन के प्रधान शशिकांत शर्मा ने बताया कि ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के राष्ट्रव्यापी बंद में सभी ट्रांसपोर्टर एकजुट हैं और जब तक सरकार डीजल को जीएसटी में लाने की मुख्य मांग नहीं मान लेती तब तक वह अपना विरोध जारी रखेंगे । हड़ताल में अंबाला के करीब 500 ट्रांसपोर्टर शामिल हैं।

अभी सब्जी मंडी में कोई असर नहीं है

आढ़ती एसोसिएशन सब्जी मंडी के प्रधान शिवचंद्र तुली ने बताया कि अभी ट्रांसपोर्ट की हड़ताल का कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है। जिन लोगों के पास एक दो ट्रक हैं वह अपना काम कर रहे हैं। सब्जी के दामों पर कोई असर नहीं है।

फलों की सप्लाई सामान्य है

नई सब्जी मंडी अंबाला शहर के आढ़ती अमरजीत ने बताया कि ट्रांसपोर्टर की हड़ताल का फलों की आपूर्ति पर अभी कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है। मंडी में फलों के दाम को लेकर कहीं कोई असर नहीं है। आगे चलकर असर पड़ सकता है।

छोटे वाहन बने हुए हैं विकल्प

अंबाला छावनी सब्जी मंडी के थोक सब्जी विक्रेता सुरेंद्र ¨बद्रा के मुताबिक लोकल सब्जी अभी पर्याप्त है। दिल्ली से प्याज व टमाटर की सप्लाई आती है लेकिन इसके लिए छोटी गाड़ियां विकल्प बनी हुई हैं। पहाड़ों की सब्जी भी छोटी गाड़ियों से आती है।


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