विश्व के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन तक पहुंचेगी मशाल, पटियाला रेजीमेंट को सौंपी
1971 के युद्ध में भारत की विजय के 50 साल पूरा होने के उपलक्ष में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रज्वलित की गई विजय ज्योति मशाल 22 को अंबाला पहुंची।
जागरण संवाददाता, अंबाला : 1971 के युद्ध में भारत की विजय के 50 साल पूरा होने के उपलक्ष में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रज्वलित की गई विजय ज्योति मशाल 22 को अंबाला पहुंची। वीरवार को खड़गा स्टेडियम में मशाल के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। यह मशाल विश्व के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन तक पहुंचेगी। विश्व के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन तापमान माइनस 60 डिग्री सेल्सियस विजय ज्योति शहीदों की कुर्बानी को याद दिलाएगी। इसकी जिम्मेदारी पटियाला रेजीमेंट को सौंपी गई। मशाल अब विश्व के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन तक जाएगी, जिसके लिए सेना की तरफ से बाकायदा रूट चार्ट तैयार किया गया है।
मशाल पटियाला जाएगी और उसके बाद पंचकूला मंशादेवी मंदिर होते हुए सियाचिन तक लेकर जाते समय इसका जगह जगह भव्य स्वागत किया जाएगा। वीरवार को शेरों की धरती पंजाब में जब अपनी पकी हुई फसल को काटने की तैयारी होती है उस समय होने वाला भंगड़ा की पंजाब रेजीमेंट के जवानों ने प्रस्तुति दी। इसके बाद गोरखा रेजीमेंट के जवानों हाथ में खुखरी और ढाल लेकर अपने फुर्तीले अंदाज में लोकनृत्य का प्रदर्शन किया।
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सभी के हाथों में लहराया तिरंगा
शहीदों के सम्मान और मशाल के लिए आयोजित कार्यक्रम में शामिल सभी के हाथों में तिरंगा था। सेना की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम में शहीदों के आश्रितों और उनके परिवार को सम्मान के साथ स्टेडियम में पहुंचाया गया। आमंत्रित लोगों के लिए कुर्सियां निर्धारित थीं।
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सुसज्जित सैन्य दल है पंजाब रेजिमेंट
पंजाब रेजिमेंट भारतीय सेना का सबसे सुसज्जित सैन्य-दल है। जो हर युद्ध में निडरता और पराक्रम का परचम लहराता रहा है। वर्ष 1999 की कारगिल जंग में शहीद हुए कैप्टन सौरभ कालिया और कैप्टन अमित भारद्वाज का पराक्रम और अदम्य साहस इसकी मिसाल है।