हाई स्कूल के लिए जगह पड़ी कम, सब्जी मंडी और छबियाना स्कूल की बिल्डिग का लटका निर्माण
छावनी के छबियाना और सब्जी मंडी के सरकारी स्कूल की टूटे पड़ी इमारतें शिक्षा विभाग की अनदेखी को बयां कर रही है।
अंशु शर्मा, अंबाला
छावनी के छबियाना और सब्जी मंडी के सरकारी स्कूल की टूटे पड़ी इमारतें शिक्षा विभाग की अनदेखी को बयां कर रही है। जर्जर हो चुकी इन स्कूलों की बिल्डिग को टूटे करीब पांच से दो साल का समय बीत चुका है, अभी तक न तो इन स्कूलों की नींव रखी गई है और न ही मौजूदा समय में वहां निर्माण कार्य शुरू होने की तैयारी है। शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों के विद्यार्थियों को पास के स्कूलों में शिफ्ट कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है। उसका खामियाजा इन स्कूलों के सैंकड़ों विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रही है। जो अपने स्कूल की बिल्डिग को भी भूलते जा रहे हैं। जिन स्कूलों में यहां के विद्यार्थियों को भेजा गया है वहां जगह का अभाव हो चुका है। विभाग की मानें तो यह हाई स्कूल पुराने समय से इन्हीं बिल्डिग में चल रहे थे। मौजूद स्थिति यह है कि अब यहां दोबारा से हाई स्कूल की बिल्डिग बनाने के लिए जगह कम पड़ रही है। जिस कारण निर्माण कार्य लटका पड़ा है।
छावनी के सब्जी मंडी स्कूल को 13 मई, 2015 को रामबाग रोड स्थित सरकारी स्कूल और छबियाना स्कूल के विद्यार्थियों को बब्याल और पास की धर्मशाला में शिफ्ट कर दिया था। कुछ समय पहले ही प्राइमरी विग को भी बब्याल स्कूल में ही मर्ज कर दिया गया।
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विद्यार्थियों को होती परेशानी
छबियाना और सब्जीमंडी स्कूल के विद्यार्थियों को रोजाना शिफ्टिग का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। छबियाना स्कूल के विद्यार्थियों को जहां एक किलोमीटर दूर बब्याल स्कूल की दौड़ लगानी पड़ती है तो वहीं सब्जी मंडी स्कूल के विद्यार्थियों को पांच सौ कदम ज्यादा चलना पड़ता है। परिवार की स्थिति भी कमजोर होने के कारण अधिकतर विद्यार्थियों की शिक्षा ग्रहण करना मजबूरी बन चुकी है। बार-बार शिक्षा विभाग में शिकायतों के बावजूद भी बिल्डिग का जल्द निर्माण कार्य शुरू करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे। बता दें कि छबियाना स्कूल में ज्यादा छात्र टांगरी के जद में बसी कॉलोनियों से आते थे। शिफ्टिग के लिए कई बार अभिभावक भी रोष जता चुके हैं।
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गृहमंत्री के समक्ष उठा चुका टूटे स्कूलों का मामला
हाल ही में दोनों स्कूलों की जगह हाई स्कूल के लिए कम पड़ने का मामला गृहमंत्री अनिल विज के दरबार में भी उठ चुका है। बाकायदा शिक्षा विभाग के आला अधिकारी जगह की कमी का दुखड़ा मंत्री के समक्ष रो चुके हैं। यह दोनों बिल्डिग का निर्माण कार्य शुरू करना विभाग के लिए गले की फांस बन चुका है। आखिर में अधिकारियों ने इसके निर्णय की गेंद निदेशालय के पाले में डाल दी है। इसका प्रपोजल डिपार्टमेंट को भेजा हुआ है। ये दोनों ही हाई स्कूल हैं और लंबे समय से चल रहे थे, इसलिए अब इनकी बिल्डिग को नए सिरे से बनाने के लिए जगह कम पड़ रही है। निदेशालय के फैसले के बाद ही इसे शुरू किया जाएगा।
उमा शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी, अंबाला