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डीसी रैंक तक फंसे अधिकारी तो दबाई फाइल, विज ने डीजी विजिलेंस से किया जवाब तलब

अंबाला छावनी से सटे करधान गांव में गैरकानूनी ढंग से रजिस्ट्रियां करने का मामला एडीसी रहे शक्ति सिंह जांच में सामने आने के बावजूद फाइलों से बाहर नहीं आ रहा। डीसी रैंक और तहसील के अधिकारी सीधे तौर पर फंसते नजर आ रहे हैं इसलिए विजिलेंस जांच की सिफारिश के बाद फाइल कहां गई इसका आज तक कोई अता पता नहीं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Feb 2021 07:05 AM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2021 07:05 AM (IST)
डीसी रैंक तक फंसे अधिकारी तो दबाई फाइल, विज ने डीजी विजिलेंस से किया जवाब तलब
डीसी रैंक तक फंसे अधिकारी तो दबाई फाइल, विज ने डीजी विजिलेंस से किया जवाब तलब

दीपक बहल, अंबाला

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अंबाला छावनी से सटे करधान गांव में गैरकानूनी ढंग से रजिस्ट्रियां करने का मामला एडीसी रहे शक्ति सिंह जांच में सामने आने के बावजूद फाइलों से बाहर नहीं आ रहा। डीसी रैंक और तहसील के अधिकारी सीधे तौर पर फंसते नजर आ रहे हैं, इसलिए विजिलेंस जांच की सिफारिश के बाद फाइल कहां गई, इसका आज तक कोई अता पता नहीं। दैनिक जागरण द्वारा मामले का पर्दाफाश करने के बाद प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने विजिलेंस के महानिदेशक पीके अग्रवाल से जवाब तलब किया है। विज ने इस मामले में कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। सोमवार को विज ने अग्रवाल से पूछा है कि करधान गांव में जमीन घोटाले से जुड़ी दैनिक जागरण में प्रकाशित समाचार की कटिग भेजी गई थी। इस मामले में की गई कार्रवाई से अवगत करवाएं। दरअसल यह मामला अफसरशाही ने दबा दिया था। विज ने मामले को दबाने वाले अफसरों के खिलाफ और अब तक मुकदमा दर्ज क्यों नहीं हुआ, इसके बारे पहले लिखा था। विज ने इसी मामले महानिदेशक से जवाब तलब किया है।

--------- यह है मामला

छावनी से सटे गांव करधान की शामलात जमीन पर चौटाला सरकार डेयरियां शिफ्ट करना चाहती थी। सन 2004 में पंचायत की सहमति पर ओम प्रकाश चौटाला के नाम का शिलान्यास पट तक लगा दिया गया। बाद में कांग्रेस सरकार के शासनकाल में शामलात जमीन की 11 रजिस्ट्रियां कर जमीन को बेच दिया गया। चौटाला सरकार में लगा शिलान्यास पट तक तोड़ दिया गया। प्रदेश में सरकार कांग्रेस की आ चुकी थी, इसलिए शिलान्यास पट तोड़ने का मुकदमा तक दर्ज करना पुलिस ने उचित नहीं समझा। इस जमीन की पहली रजिस्ट्री 16 अगस्त 2010 को हुई थी। इस जमीन से करोड़ों रुपयों के वारे-न्यारे हुए पर यहां रुपया गांव के विकास कार्यों में खर्च होने की बजाय भू-माफिया की जेबों में चला गया।

------------- एडीसी नाम उजागर से बचे, विजिलेंस के पाले में डाली थी गेंद

एडीसी ने जांच कर सच से पर्दा तो उठा दिया लेकिन कौन-कौन से अधिकारी संदेह के घेरे में हैं, इनके नामों और रैंक का खुलासा नहीं किया गया था। एडीसी ने विजिलेंस जांच की सिफारिश की, जिसके बाद आज तक इस मामले में न तो कोई मुकदमा दर्ज हुआ और न ही जमीन वापस हुई। जांच रिपोर्ट में गड़बड़झाला होने पर मुहर लगा दी थी।

-------- दैनिक जागरण ने किया था खुलासा

दैनिक जागरण ने करधान की शामलात जमीन की रजिस्ट्रियां होने का मामला प्रकाशित किया था। इस घोटाले की एडीसी ने जांच कर खुलासा किया सन 2010 से लेकर 2014 तक इस जमीन की रजिस्ट्रियां हुई। 16 अगस्त, 2010 को पहली रजिस्ट्री और 18 सितंबर 2014 को अंतिम रजिस्ट्री कराई गई। अंबाला छावनी की तहसील से कुल 24 रजिस्ट्रियों की गई थी।

----------- इस तरह हुआ गड़बड़झाला

इस जमीन का मामला कलेक्टर एवं डीसी तक पहुंचा। पंजाब विलेज कॉमन लैंड एक्ट में सेक्शन 13ए के तहत कलेक्टर के पास विचाराधीन था, लेकिन जमीन की रजिस्ट्रियां कर दी गई। नियमों के मुताबिक मामला विचाराधीन होने तक रजिस्ट्री नहीं करवाई जा सकती। जांच रिपोर्ट में मिलीभगत और आला अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में बताई गई थी।


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