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पीआरटीसी की किलोमीटर स्कीम की बसों का स्वरूप-कंपनी एक होने से गड़बड़झाला

पंजाब में किलोमीटर स्कीम के तहत पीआरटीसी की बसें अवैध रूप से अंबाला ही नहीं बल्कि हरिद्वार और दिल्ली तक दौड़ रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 04 Aug 2019 08:14 AM (IST)Updated: Sun, 04 Aug 2019 08:14 AM (IST)
पीआरटीसी की किलोमीटर स्कीम की बसों का स्वरूप-कंपनी एक होने से गड़बड़झाला
पीआरटीसी की किलोमीटर स्कीम की बसों का स्वरूप-कंपनी एक होने से गड़बड़झाला

सुनील बराड़, अंबाला : पंजाब में किलोमीटर स्कीम के तहत पेप्सू रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (पीआरटीसी) की बसें अवैध रूप से अंबाला ही नहीं बल्कि हरिद्वार और दिल्ली तक दौड़ रही हैं। किलोमीटर स्कीम के तहत बसों की कंपनी और उसका स्वरूप एक जैसा होने कारण होने कारण यह बसें पकड़ में नहीं आ पा रही। जिससे रोडवेज के साथ सरकार के राजस्व को नुकसान हो रहा है।

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रोडवेज रिकॉर्ड के मुताबिक पीआरटीसी की किलोमीटर स्कीम के तहत कोई भी बस हरियाणा सीमा में प्रवेश नहीं कर सकती। हरियाणा रोडवेज का पंजाब रोडवेज के साथ जो अनुबंध है उसके मुताबिक जितने किलोमीटर हरियाणा रोडवेज की सरकारी बस पंजाब में तय करेगी उतने ही किलोमीटर पंजाब की बस हरियाणा में चलेगी। हरियाणा के बेड़े में बसों की घटती संख्या के चलते पंजाब में किलोमीटर कम हो गए हैं और पंजाब में किलोमीटर स्कीम के तहत बसें आने से संख्या ज्यादा हो गई है। इसीलिए किलोमीटर स्कीम की आड़ में गड़बड़झाला हो रहा है। हरियाणा रोडवेज की विजीलेंस की सर्वे रिपोर्ट को परिवहन अधिकारी दरकिनार कर रहे हैं जिसके मुताबिक महीने में 2.22 करोड़ का नुकसान हो रहा है।

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बिकता है बस स्टैंड पर काउंटर टाइम

दैनिक जागरण ने जब पड़ताल की तो सामने आया कि पीआरटीसी की किलोमीटर स्कीम के तहत चलने वाली बसों के बारे पंजाब रोडवेज के इंस्पेक्टर को अच्छी तरह से पता है। इसीलिए इन बसों को बस स्टैंड पर काउंटर टाइम बेचा जाता है। यदि कोई शिकायत होती है तो उन्हें लांग रूट की बस बता दिया जाता है। इसके अलावा मामला आगे न बढ़े, इसीलिए तकरार या जांच पड़ताल से पहले मौके से निकाल दिया जाता है। यदि पंजाब रोडवेज की बस होती है तो इंस्पेक्टर विवाद की पूरी पैरवी करते हैं।

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ऐसे होता है फर्जीवाड़ा

पीआरटीसी और किलोमीटर स्कीम के तहत दौड़ने वाली बसें न सिर्फ एक ही कंपनी से खरीदी गई है बल्कि उनका रंग और अन्य स्वरूप भी पंजाब रोडवेज की तरह है। परिवहन विभाग के नियमों के मुताबिक रोडवेज के महाप्रबंधक और उसके स्टाफ को ऐसी बसों की जांच पड़ताल करने का कोई अधिकार नहीं है। इन बसों पर सिर्फ आरटीए कार्यालय ही कार्रवाई कर सकता है। लेकिन आज ऐसी बसों की स्पेशल चेकिग और चालान की प्रक्रिया देखने को नहीं मिली है। आरटीए की कार्रवाई महज पंजाब की प्राइवेट बसों तक सीमित है जिनके परमिट अंबाला तक के हैं।

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स्पेशल दौड़ती है 89 बसें

पंजाब रोडवेज और पीआरटीसी की महज अंबाला से दिल्ली रूट पर 89 बसें दौड़ती हैं। रोडवेज की विजीलेंस इस मामले से पर्दा उठा चुकी है लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। ऐसे में इन बसों की आड़ में भ्रष्टाचार की जड़े पूरी तरह से जम चुकी है जिन्हें उखाड़ने में अधिकारी बेदम नजर आ रहे हैं।

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पंजाब रोडवेज की स्पेशल बसों के मामले में कार्रवाई नहीं बल्कि रूटीन चेकिग ही होती है। इस मामले में जांच या स्पेशल चेकिग की कोई बात ही नहीं है। चेकिग के दौरान यदि बना परमिट, अवैध एंट्री या परमिट के मुताबिक रंग विपरीत मिलता है तो चालान किया जाता है।

- शक्ति सिंह, एडीसी कम क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण अधिकारी अंबाला।

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पंजाब से कौन सी बस किलोमीटर या रोडवेज की है उसके बारे में हमारे पास कोई सूचना नहीं है। हम तो काउंटर टाइम को देखते हैं और पंजाब रोडवेज के इंस्पेक्टर अपनी बसों को लगाते हैं वह ही इस मामले में ज्यादा जानकारी दे सकते हैं। बसों की कंपनी और रंग भी एक सामान है इसीलिए कोई पहचान भी नहीं है। इस मामले में डिपो महाप्रबंधक से अवगत कराया जाएगा।

राम रत्न शर्मा, संस्थान प्रबंधक, अंतर राज्यीय बस स्टैंड अंबाला छावनी।

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