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डबल बैंच ने दिया था 3 माह का वक्त, हुडा नहीं निपटा सका इन्हांसमेंट केस

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : पांचवीं इन्हांसमेंट का केस जीत चुके सेक्टर-10 के 57 याचिक

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 Jun 2018 08:17 PM (IST)Updated: Fri, 29 Jun 2018 08:17 PM (IST)
डबल बैंच ने दिया था 3 माह का वक्त, 
हुडा नहीं निपटा सका इन्हांसमेंट केस
डबल बैंच ने दिया था 3 माह का वक्त, हुडा नहीं निपटा सका इन्हांसमेंट केस

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : पांचवीं इन्हांसमेंट का केस जीत चुके सेक्टर-10 के 57 याचिकाकर्ताओं के मामले को निपटाने के लिए हाईकोर्ट की डबल बैंच ने 6 मार्च के फैसले में हुडा को तीन माह का वक्त दिया था। यह अवधि पंद्रह दिन पहले ही पूरी हो चुकी है और इस अवधि के पूरा होने के करीब 10 दिनों बाद बृहस्पतिवार को इन याचिकाकर्ताओं को हुडा अफसरों ने एस्टेट आफिस बुलाया। सेक्टरवासियों के साथ हुई इस बैठक में हुडा के एस्टेट ऑफिसर एवं एसडीएम स¨तद्र सिवाच व हुडा मुख्यालय पंचकूला से पहुंचे अकाउंटेट तरसेम शर्मा ने याचिकाकर्ताओं से चर्चा की लेकिन मामले का निपटान फिर भी नहीं हुआ। सेक्टरवासी इस मामले में आर्बिटेटर(मध्यस्थ) आरपी बजाज की सिफारिश के मुताबिक 6 माह से अधिक ब्याज नहीं लेने की बात कर रहे थे। जबकि मुख्यालय से आए अधिकारी इन्हांसमेंट के मामले में आई पॉलिसी में पहले से पैसा जमा कराने वाले लोगों को भी राहत मिलने का भरोसा दे रहे थे। बाद में अधिकारियों ने पंचकूला मुख्यालय में उच्च पदस्थ अधिकारियों से बात कर 2 जुलाई को मुख्य प्रशासक से बैठक कराने की बात तय की। सोमवार को सेक्टरवासियों का 8 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल अब मुख्य प्रशासक से बातचीत करने पहुंचेगा।

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याचिकाकर्ताओं के मुताबिक हुडा ने रजिस्टर्ड डाक से पत्र भेजकर उन्हें बातचीत के लिए बुलाया था। इस पत्र में हुडा ने 3 अप्रैल को कोर्ट की कॉपी रिसीव होने का हवाला दिया था। मजेदार पहलू यह है कि इस मामले में याचिकाकर्ताओं को कोर्ट के आर्डर की कॉपी डबल बैंच के निर्णय के कुछ दिनों बाद ही रिसीव हो जाती है जबकि हुडा को यह करीब एक माह बाद मिलती है। इस लिहाज से भी देखा जाए तो हुडा ने कॉपी मिलने के 2 माह 26 दिनों बाद याचिकाकर्ताओं को बातचीत की टेबल पर बुलाया। महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि सरकार के मामले में न्यायालय कोई फैसला अथवा निर्देश देता है तो उस वक्त सरकारी वकील की मौजूदगी होती है। हालांकि, कोर्ट अपने फैसले में अवधि लागू होने की तिथि कब से लागू होगी इसका उल्लेख करता है। इसके बावजूद याचिकाकर्ता अवमानना की याचिका दायर करने के बजाय अफसरों की तरफ से किए जाने वाले निर्णय का इंतजार करना चाहते हैं।

इंन्हासमेंट के नोटिस के बाद कोर्ट पहुंचे थे सेक्टरवासी

सेक्टर-10 निवासी हर¨मदर ¨सह, वेद प्रकाश कौशिक, गुलजार ¨सह, जसमेर ¨सह व बलदेव राज आदि हुडा के 28 मार्च 2017 को भेजे नोटिसों के विरुद्ध न्यायालय पहुंचे थे। सेक्टर वासियों को 925 रुपये प्रति वर्ग गज के हिसाब से पांचवीं इन्हांसमेंट का नोटिस भेजा था। इस नोटिस में एक माह में इन्हांसमेंट राशि जमा कराने अन्यथा 15 फीसद ब्याज वसूलने के लिए चेताया गया। अभी सेक्टरवासी इस आफत से ही पार नहीं पा सके थे कि 23 मई 2017 को 2568 रुपये प्रति वर्ग गज इन्हांसमेंट का नोटिस थमा दिया। जब हुडा के अफसरों से इस बारे पूछा कि आखिर करीब दो माह में इन्हांसमेंट करीब तीन गुना कैसे बन गई तो उनका जवाब था कि उनकी केलकुलेशन में गलती हो गई थी। अलबत्ता, कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई तो सेक्टर वासियों को कोर्ट की राह पकड़नी पड़ी।

चार वर्ष का लगाया था ब्याज, आर्बिटेटर के फैसले में छह माह का जिक्र

इन्हांसमेंट के मुद्दे पर 57 सेक्टरवासियों ने 20 दिसंबर को याचिका दायर की। इसमें न्यायालय में दलील दी कि कि हुडा ने उन पर चार वर्ष का ब्याज लगाकर भेजा है। जबकि ब्याज आर्बिटेटर (मध्यस्थ) द्वारा पूर्व में दिए फैसले के मुताबिक छह माह से ज्यादा का ब्याज नहीं लिया जा सकता। 6 मार्च को जब कोर्ट की पहली पेशी लगी तो हाईकोर्ट की डबल बैंच ने हुडा को मामला तीन माह में निपटाने के आदेश दिए।


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