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स्टील घोटाला : रेलवे ने माना, मानक से कम था उधमपुर-कटरा ट्रैक के खंभों में स्टील, जागरण ने किया मामले का खुलासा

उधमपुर से कटरा के बीच अंडरवेट स्टील रेलवे स्ट्रक्चर में स्टील कम होने की बात को रेलवे ने भी मान लिया है। कंपनी को बैन कर दिया है। मामले का पर्दाफाश दैनिक जागरण ने किया था।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2020 04:08 PM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 04:45 PM (IST)
स्टील घोटाला : रेलवे ने माना, मानक से कम था उधमपुर-कटरा ट्रैक के खंभों में स्टील, जागरण ने किया मामले का खुलासा
स्टील घोटाला : रेलवे ने माना, मानक से कम था उधमपुर-कटरा ट्रैक के खंभों में स्टील, जागरण ने किया मामले का खुलासा

अंबाला [दीपक बहल]। रेलवे विद्युतीकरण प्रोजेक्टों में अंडरवेट स्टील की आपूर्ति के खेल का दैनिक जागरण ने रहस्योद्घाटन किया था, जिस पर रेल मंत्रालय ने अपनी मुहर लगा दी है। दैनिक जागरण की खबर को सत्यापित करते हुए रेल मंत्रालय ने 11 अगस्त 2020 को लिखित आदेश जारी कर स्टील आपूर्ति करने वाली कंपनी को दो साल के लिए बैन कर दिया है।

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उधमपुर से कटरा के बीच अंडरवेट स्टील रेलवे स्ट्रक्चर (पटरी किनारे लगे स्टील के खंभे जो बिजली की तारों को सपोर्ट करते हैं) लगाए गए हैं, इनमें स्टील कम लगाया गया है। इसी तरह जम्मू से उधमपुर के बीच भी स्ट्रक्चर में अंडरवेट स्टील का इस्तेमाल किया गया है। अब इसी पटरी पर रेलगाड़ियां दौड़ रही हैं, जिसके चलते संरक्षा को खतरा है।

रेलवे ने स्टील की आपूर्ति करने वाली कंपनी भले ही दो साल के लिए बैन कर दी हो, लेकिन पटरी किनारे मानकों से कम वेट के स्टील स्ट्रक्चर खड़े हैं। ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा भी दांव पर है। लंबे समय की जांच के बाद रेलवे ने मान लिया कि अंडरवेट स्टील की आपूर्ति हुई है, लेकिन रेलवे अभी जो स्ट्रक्चर उन पर अभी कार्रवाई नहीं कर रहा है।

दैनिक जागरण में प्रकाशित खबरों की कटिंग।

बता दें कि दैनिक जागरण ने 24 फरवरी 2018 को इस घोटाले का पर्दाफाश किया था। जम्मू-उधमपुर-कटरा के बीच रेलवे विद्युतीकरण का टेंडर अंबाला स्थित चीफ प्रोजेक्ट डायरेक्टर (सीपीडी) कार्यालय से हुआ था। रेल अधिकारियों की मिलीभगत से पटरी किनारे खड़े किए गए स्ट्रक्चर में अंडरवेट स्टील का इस्तेमाल किया। इस मामले की जांच विजिलेंस से लेकर सीबीआइ तक पहुंची, लेकिन अभी तक स्ट्रक्चर उखाड़कर नए नहीं लगाए गए।

आला अधिकारी रहे मेहरबान नहीं हो पाई कार्रवाई

रेलवे बोर्ड ही नहीं बल्कि विद्युतीकरण विभाग के अधिकारी भी स्टील आपूर्ति करने वाली कंपनियों पर मेहरबान रहे थे। रेलवे विजिलेंस की सिफारिशों के बावजूद लंबे समय तक दागी कंपनी से स्टील की आपूर्ति को रोका नहीं गया था। अब रेल मंत्रालय ने इस मामले में संज्ञान लिया है।


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