Move to Jagran APP

धरने के लिए किसी ने जॉब छोड़ी तो किसी ने बंद किया अपना कामकाज

अंग्रेजों के जमाने की जमीन 200 साल बाद यानि 2019 में अपनी हो जाए। इसीलिए परेड से नौकरी के साथ-साथ अपना निजी काम धंधा और खेती बाड़ी करने वालों ने परिवार के मुखिया ने सब कुछ दांव पर लगा दिया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 07:50 AM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 07:50 AM (IST)
धरने के लिए किसी ने जॉब छोड़ी तो किसी ने बंद किया अपना कामकाज
धरने के लिए किसी ने जॉब छोड़ी तो किसी ने बंद किया अपना कामकाज

जागरण संवाददाता, अंबाला : अंग्रेजों के जमाने की जमीन 200 साल बाद यानि 2019 में अपनी हो जाए। इसीलिए परेड से नौकरी के साथ-साथ अपना निजी काम धंधा और खेती बाड़ी करने वालों ने परिवार के मुखिया ने सब कुछ दांव पर लगा दिया है। जिद जमीन का मालिकाना हक लेने की है और बीते 14 दिन में 10 से 20 हजार रुपये का नुकसान प्रति मुखिया को हो चुका है। बिना आमदनी के उनका घर कैसे चलेगा, इसकी किसी को कोई परवाह नहीं है। आज दैनिक जागरण टीम ने घर के मुखिया से बातचीत कर उनके मन की बात टटोली तो सामने आया कि उनकी प्राथमिकता घर, कामकाज और खेती बाड़ी नहीं है बल्कि लोकतांत्रिक तरीके से जमीन का मालिकाना हक लेने का है।हक की लड़ाई को बिना किसी ठोस नतीजे के शांत नहीं होने दिया जाएगा। परेड के किसी एक परिवार विशेष की नहीं बल्कि सब एकजुट होकर इस हक की लड़ाई लड़ने में आगे आ रहे है।

loksabha election banner

फोटो 12

पालक की फसल बर्बाद

महेश शाक्य के पास 4.83 बीघे जमीन है और जिम्मेदारी मालिकाना हक जनसभा ने कोषाध्यक्ष की दे रखी है इसलिए बीते 14 दिन में सुबह से शाम धरने पर बैठे हैं जिससे खेत में तैयार पालक, मैथी और मूली तैयार होने के बाद अब खराब हो गई। इस फसल को महेश सब्जी मंडी में खुद की फड़ी लगा कर बेचते हैं लेकिन सब कुछ छोड़कर धरने पर बैठे हैं। करीब 14 हजार का नुकसान हो चुका है। आगे भी नुकसान की कोई परवाह नहीं है।

फोटो 13

खेती से नहीं चलता घर का काम

संदीप शाक्य के पास खेती बाड़ी के लिए डेढ़ बीघे जमीन है जिस पर खेती बाड़ी करके घर चल रहा है। खेती बाड़ी से घर का पूरा नहीं चलता। इसीलिए पेंट करने का काम कर रहे हैं। सभा ने सभी लोगों को एकजुट करने की जिम्मेदारी सौंपी है इसलिए धरने में 8 में से 6 घंटे का समय दे रखा है। संदीप ने बताया कि उसका सब काम बंद होने से कमाई के रास्ते बंद हो गए हैं लेकिन हक की लड़ाई वह परेड की जनता के ही मिलकर लड़ेंगे।

अप्रैल में शादी, हम धरने पर

फोटो 14

सतीश कुमार के पास एक किला जमीन है और परिवार में 12 लोग हैं। उसकी शादी अप्रैल में होनी है और पैसा जोड़ने की बजाए वह परिवार के साथ धरने पर बैठे हैं। सतीश ने बताया कि परेड की जनता उसके साथ खड़ी है तो उनको छोड़कर अपना घर नहीं देख सकते। इसलिए हक की लड़ाई मिलकर लड़ी जाएगी। सतीश मंडी में पल्लेदारी करते हैं और अपने 4 भाइयों समेत धरने पर बैठे हैं।

फोटो 15

नौकरी छोड़ी दी

सुमित कुमार ने बताया कि पशुपालन व्यवसाय से जुड़े हैं और जब जनता किसी एक नहीं बल्कि सामूहिक रूप से हक की लड़ाई लड़ रही है तो उसने भी अपनी नौकरी छोड़ दी है और धरने में शामिल है ताकि उनकी कोई सुनवाई हो सके। हक की लड़ाई से वह किसी भी हालत में पीछे नहीं हटेंगे। जब सब जनता ने एक दूसरे के लिए काम छोड़ा है तो वह भी इसी जनता का हिस्सा है। सुमित ने बताया कि खेत में पालक की फसल बीज रखी थी उसका क्या हुआ है वह उसे देखने तक नहीं जा पाए हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.