ढोल की थाप से बड़ों को भी मात दे रहा ये नन्हा उस्ताद
प्रतिभा: खिलौने नहीं बल्कि ढोल का शौकीन है मन्नी, हर रोज घंटों करता है प्रैक्टिस, 4 साल की उम्र में थिरकने लगी थीं टुंडला के मन्नी की अंगुलियां
अंशु शर्मा, अंबाला
कहावत तो सुनी ही होगी कि जैसी संगत वैसी रंगत। जी हां, हम बात कर रहे हैं इस कहावत की मिसाल बने महज आठ वर्ष ढोल वादक छावनी के टुंडला निवासी मन्नी की। ढोल वादक के घर में जन्मे मन्नी के हाथों में इस कदर हुनर है कि जब भी वह गले में ढोल डालकर बजाता है तो हर कोई दंग रह जाता है। केवल इतना ही नहीं बल्कि ढोल की अलग-अलग विधाओं में भी माहिर है। कहानियां सुनने की उम्र में बोलियां व खिलौनों की जगह ढोल की थाप के साथ अपना बचपन गुजार रहा है। पढ़ाई के बाद जो भी खाली समय मौज-मस्ती के लिए मिलता है तो केवल ढोल बजाना ही पसंद करता है। यही कारण है कि छोटे उस्ताद के हुनर के कारण ही उसके पिता को अब छोटे उस्ताद के पिता के नाम से जानते हैं। चार साल की उम्र में चलने लगे थी उंगलियां
मन्नी के पिता बलकार का कहना है कि ढोल बजाने के लिए कोई ट्रे¨नग नहीं दी गई। घर के अंदर जब वह खुद तैयारी करते थे तो चार साल की उम्र में ही मन्नी की उंगलियां चलने लगी थी। जैसे-जैसे वह बढ़ता चला गया तो ढोल की मांग करने लगा था। सात साल की उम्र में वह ढोल बजाने लगा। मन्नी के ढोल बजाता देखने के लिए दूर-दूर से लोग भी पहुंचते हैं। सिम्पल ढोल के अलावा वह चौकड़ी, कैरूआ, जुगन आदि में माहिर है। ढोल ही नहीं पढ़ाई में भी तेज है। शौकिया तौर पर ग्रुप संग दे चुका है प्रस्तुति
छोटे उस्ताद के हौसलें इतने बुलंद है कि अपने से बड़े-बड़े ढोल मास्टरों के बीच कई बार ढोल की प्रस्तुति दे चुका है। शौक इस कदर है कि आधा-आधा घंटा बिना रुके ढोल बजाता रहता है। ग्रुप में ढोल की प्रस्तुति के कारण अंबाला ही नहीं पंजाब में भी छोटे उस्ताद के ग्रुप को बेहद पंसद किया जाता है। पिता बलकार का कहना है कि अपना शौक पूरा करने के लिए बजाता है और पूरा ध्यान पढ़ाई पर देता है। वैसे उसके ढोल को काफी पंसद किया जाता है। सोशल मीडिया भी मन्नी के ढोल की कई वीडियो तक बनी हुई है।