शहीद गुरसेवक के पिता का छलका दर्द, कहा- दूसरा बेटा न होता तो भीख मांग रहे होते
2016 में पठानकोट आतंकी हमले में शहीद हुए गुरसेवक सिंह के पिता ने कहा कि मेरा बेटा शहीद हुआ था, पत्नी को तो नौकरी मिली, लेकिन बूढे़ माता-पिता कष्ट झेल रहे हैं।
अंबाला शहर [उमेश भार्गव]। शहीद हुए गुरसेवक सिंह के पिता सुच्चा सिंह का दर्द फूट पड़ा। गुरसेवक वर्ष 2016 में पठानकोट आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। पुलवामा आतंकी हमले से व्यथित सुच्चा सिंह ने कहा है कि आखिर कब तक कुर्बानियां देते रहेंगे? इसका दर्द वही जानते हैं, जिनका बेटा, पति या भाई चला गया। उन्होंने सरकार ने कहा है कि वह जल्द से जल्द कोई बड़ा कदम उठाए। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में सुच्चा सिंह का दर्द साफ झलका।
सुच्चा सिंह ने कहा, मेरा बेटा शहीद हुआ है। उसकी पत्नी को नौकरी मिल गई। सरकार का इसके लिए दिल से आभारी हूं। उसकी पत्नी को पेंशन भी मिल रही है, लेकिन हमारा क्या? किसी ने हमसे पूछा? हमारा दूसरा बेटा हरदीप सिंह नहीं होता तो आज हम भीख मांग रहे होते। हमें न तो पेंशन मिलती है न ही आय का दूसरा कोई साधन है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि जिन माता-पिता का बेटा चला गया है, उनको भी आधी पेंशन दी जाए। उनके लिए भी आर्थिक सहायता मुहैया कराई जाए, ताकि वह गुजर-बसर कर सकें।
पुलवामा में सपूतों के शहीद होने पर उन्होंने कहा कि न जाने कितने हजार देशवासियों के सपूत चले गए। पुलवामा की घटना ने हमारे जख्मों को ताजा कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब पानी सिर से गुजर चुका है। सरकार चाहे कोई भी रही हो आतंकी हमले होते रहे हैं। जवान शहीद होते आए हैं। अब कुछ कर दिखाने का समय आ गया है पाकिस्तान को सबक सिखाया जाना चाहिए।
आतंकवाद के खात्मे के सवाल पर सुच्चा सिंह ने कहा कि जब तक सरकार पाकिस्तान के 40-50 हजार सैनिकों को नहीं मार देती तब तक वह चैन से नहीं बैठेंगे। जब अमेरिका ओसामा को उसके घर में जाकर मार सकता है तो हम क्यों नहीं? हमारे पास एक से बढ़कर एक हथियार हैं। हमारे पास वीर जवान और जज्बा भी है। बस सरकार दृढ़ शक्ति दिखाए।
बेटों, पिता और भाइयों की शहादत के बाद परिवारों को किस तरह की दिक्कतें आती हैं के जवाब पर सुच्चा सिंह की आंखें भर आईं। उन्होंने कहा कि बच्चों को माता-पिता नहीं मिलेंगे। हर रोज मां-बाप और उनके बच्चे और पत्नियां रोएंगे। ठीक है सरकार आर्थिक सहायता देती है उससे मदद भी मिलती है, लेकिन यह आर्थिक स्थिति भी कई बार काम नहीं आती। इसको लेकर भी सरकार को पॉलिसी में बदलाव करना चाहिए।