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उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम की बैठक से गायब रहे एसडीओ, चेयरमैन ने एससी को लगाई फटकार

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर: उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम की करीब दो माह बाद बैठक हुई। बैठक में सभी डिवीजन के एसडीओ का होना अनिवार्य होता है लेकिन कोई शामिल नहीं हुआ। इस पर चेयरमैन ने एससी आरके खन्ना को भी खरी-खरी सुनाते हुए अगली बार बैठक में सभी एसडीओ की उपस्थिति सुनिश्चित करने के आदेश दिए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 07:14 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 07:14 PM (IST)
उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम की बैठक से गायब रहे एसडीओ, चेयरमैन ने एससी को लगाई फटकार
उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम की बैठक से गायब रहे एसडीओ, चेयरमैन ने एससी को लगाई फटकार

फोटो: 14 से 17

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जागरण संवाददाता, अंबाला शहर: उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम की करीब दो माह बाद बैठक हुई। बैठक में सभी डिवीजन के एसडीओ का होना अनिवार्य होता है लेकिन कोई शामिल नहीं हुआ। इस पर चेयरमैन ने एससी आरके खन्ना को भी खरी-खरी सुनाते हुए अगली बार बैठक में सभी एसडीओ की उपस्थिति सुनिश्चित करने के आदेश दिए। चेयरमैन बीआर गर्ग ने यह तक कह दिया कि एससी साहब मुझे एक्सइएन से कुछ नहीं लेना, लेकिन बैठक में एसडीओ जरूर होने चाहिए। बैठक में सेक्टर 8 निवासी कमलजीत ने बिजली बिल नहीं आने, मनमोहन नगर निवासी सोहन लाल ने 2355 यूनिट का बिल बिना री¨डग भेजने की शिकायत की। बिजली उपभोक्ताओं की प्रमुख शिकायतें और उन पर चेयरमैन का रवैया:- फोटो: 14

एक साल से बिना रीडिंग लिए भेजा जा रहा बिल

धनकौर निवासी सूरज प्रकाश शर्मा ने कहा कि एक साल से कोई मीटर की री¨डग लेने नहीं आ रहा। हर बार माइनस में बिल भेज देते हैं। अब यह फिर मुझे सारा बिल एक साथ भेज देंगे। इतना बिल एक साथ मैं कहां से जमा करूंगा। धनकौर में दरबार लगा था वहां भी मैंने अपनी बात रखी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इस पर चेयरमैन बीआर गर्ग ने कंपनी के कर्मी को बुलाया और उसे जमकर लताड़ लगाई।

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बिना रीडिंग के भेजा जा रहा बिल

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अशोक कुमार निवासी अंबाला शहर ने कहा कि मेरे पास दो मीटर हैं। एक घर पर और एक दुकान पर। 2016 में दुकान का मीटर यह कहकर बदला था कि सरकार की स्कीम है। इसी तरह घर का मीटर भी 2017 में यही बात कहकर बदल दिया गया। लेकिन आज तक दोनों जगह के बिल बिना री¨डग लिए एवरेज बेस पर भेजे जा रहे हैं। एसडीओ के पास जाते हैं तो वह जेई के पास भेज देता है। जेई कहता है कि हमने एमसीओ नहीं काटा। अब किसी ने क्या नहीं किया हमें क्या पता। सुनते ही एससी खुराना बोले इस जेई को चार्ज शीट करो एक्सइएन साहब। एसई के जवाब पर चेयरमैन बोले यदि ऐसा किया होता तो दो साल से उपभोक्ता धक्के नहीं खा रहा होता। चेयरमैन ने जेई से लिखित में जवाब मांगा। सुनवाई नहीं होती तो दरबार क्यों लगाते हो

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छावनी रानीबाग निवासी लाल चंद मित्तल ने कहा कि मेरे घर की छत पर बिजली बोर्ड की डेड लाइनें पड़ी हैं। उन्हें कोई भी नहीं हटा रहा। साथ ही हाईटेंशन तारें भी घर के पास से निकल रही हैं। ऐसे में डर रहता है कि यह डेट तारें हाईटेंशन तारों से न टकरा जाएं। इसीलिए इन्हें हटाया जाए। चेयरमैन बोले कि लिखकर दो कि इस पर जो खर्च होगा वह मैं वहन करूंगा। इससे लाल चंद भड़क गए बोले जब सुनवाई नहीं होनी तो क्यों ऐसे दरबार लगाते हो। इस पर उपभोक्ता को समझाया गया कि यह नियम है तब उन्होंने खर्च उठाने की हामी भर दी।

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आनलाइन बिल भरने के बावजूद किया जा रहा परेशान

फोटो: 17

हाउ¨सग बोर्ड निवासी हरकेश चंद ने बताया कि वह अक्टूबर महीने का बिल डिजिटल तरीके से भरा था। मेरे खाते से पेमेंट कट चुकी है लेकिन बिजली निगम वाले कहते हैं कि पेमेंट नहीं पहुंची। जब पेमेंट मेरे खाते से कट गई तो गई कहां। उपभोक्ता ने 5 हजार भरे हुए दिखाए। कहा कि अगले बिल में फिर ये यह राशि जोड़कर भेज दी गई। चेयरमैन गर्ग ने एक्सइएन से पूरे मामले की जांच कराने के निर्देश दिए।

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गलत बिल को नहीं किया जा रहा ठीक

रणजीत नगर निवासी मुकेश कुमार ने बताया कि पांच साल से मीटर कटा हुआ है। आखिरी बिल एक साथ 7800 यूनिट का बिल मुझे भेज दिया। मैं दोबारा मीटर लेना चाहता हूं लेकिन कोई मेरा बिल जो गलत दिया गया है ठीक नहीं कर रहा। चेयरमैन ने इसके लिए एक्सइएन को निर्देश दिए कि बिल यदि ठीक होता है तो ठीक कराएं और पेमेंट भरने के बाद उसे कनेक्शन जारी किया जाए। सौ बार चक्कर लगाने के बाद भी नहीं हुई सुनवाई

अंबाला शहर निवासी ने अश्वनी कुमार कहा कि एक साल से बिना री¨डग के एवरेज बेस पर ही मेरा इंडस्ट्री का बिल भेजा रहा है। घर में सोलर कनेक्शन लगा हुआ है। उसके हिसाब से कोई बिल नहीं भेजा रहा। कम से कम 100 चक्कर बिजली निगम कार्यालय के काट चुका हूं। स्लैब रेट का नहीं मिला लाभ

प्रेम पुरम निवासी भूपेंद्र ¨सह ने कहा कि समय पर बिल नहीं भेजने के कारण स्लैब रेट ही बदल गए। मुझे स्लैब रेट का लाभ नहीं मिलने के कारण 10 हजार रुपये अधिक बिल भरना पड़ा है। चेयरमैन ने बिल चेक कर स्लैब रेट के हिसाब से उन्हें लाभ देने के आदेश दिए।


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