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अंबाला में पराली जलाने वालों पर सेटेलाइट की टेढ़ी नजर

किसान खेतों में पराली नहीं जलाएं इस पर अंकुश लगाए जाने के लिए सेटेलाइट के जरिए नजर रखी जाती है। जिस क्षेत्र में सेटेलाइट आग की सूचना देता है कृषि विभाग के कर्मचारी उसी प्वाइंट पर पहुंच कर जांच करते हैं बावजूद काफी जगहों पर मामूली आग ही पाई गई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 Jan 2021 06:05 AM (IST)Updated: Sun, 31 Jan 2021 06:05 AM (IST)
अंबाला में पराली जलाने वालों पर सेटेलाइट की टेढ़ी नजर
अंबाला में पराली जलाने वालों पर सेटेलाइट की टेढ़ी नजर

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : किसान खेतों में पराली नहीं जलाएं इस पर अंकुश लगाए जाने के लिए सेटेलाइट के जरिए नजर रखी जाती है। जिस क्षेत्र में सेटेलाइट आग की सूचना देता है कृषि विभाग के कर्मचारी उसी प्वाइंट पर पहुंच कर जांच करते हैं, बावजूद काफी जगहों पर मामूली आग ही पाई गई। इस आग को भी सेटेलाइट ने ही पकड़ा। इस पर विभाग की टीम ने मौके का मुआयना किया, जहां कुछ नहीं पाया गया।

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विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो सेटेलाइट पर 817 आग की घटनाएं पकड़ी गई। इनके अलावा 7 जगहों पर विभाग ने बिना सेटेलाइट के आग पकड़ी। जिले में कुल 824 जगह पर आग का लगने के संकेत मिले, लेकिन 759 जगहों पर सेटेलाइट की ओर से दर्शाई गई आग विभागीय टीम को धरातल पर कहीं नजर नहीं आई। जांच करने पर विभाग को 64 जगहों पर आग मिली। हालांकि एक जगह मामला अभी विचाराधीन है।

पराली जलाने पर 47 किसानों के चालान किए थे। इसके साथ ही 13 किसानों के खिलाफ केस भी दर्ज किए गए थे। आग लगाने के आरोप में कृषि विभाग को किसानों से 1 लाख 31 हजार रुपये जुर्माना वसूल किया है। हालांकि पराली जलाने के मामलों में धीरे-धीरे कमी दर्ज की जा रही है।

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-कृषि विभाग करता है जागरूक

पराली के अवशेष नहीं जलाने को लेकर कृषि विभाग ने फसल कटाई से पहले ही किसानों को जागरूक करना शुरू कर दिया था, जिसमें विभाग की ओर से सेमिनार लगाने के साथ-साथ विभाग में आने वाले किसानों को समझाया भी गया था कि पराली जलाने पर फसल के मित्र किट भी जल कर नष्ट हो जाते हैं। इससे फसल को नुकसान होता है।

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-जमीन की उर्वरा भी होती है कमजोर

किसान इंद्रजीत सिंह ने बताया कि किसान जानबूझकर पराली नहीं जलाना चाहते। पराली जलाने पर जमीन की उपजाऊ शक्ति कमजोर होती है, लेकिन किसानों के आगे भी बड़ी समस्या है। यदि पराली के अवशेष को खेत से बाहर निकालते हैं उन पर काफी अधिक खर्च पड़ता है। सरकार की ओर से कीमती मशीनों पर सब्सिडी ही दी जा रही है। यदि सरकार पर्यावरण को बचाना चाहती है तो वह साथ देने को तैयार हैं, लेकिन सरकार खेत से पराली को उठवाने का भार किसानों के सिर पर न डाले।


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