सपेड़ा गांव पेश कर रहा पराली नहीं जलाने की मिसाल
जिला का गांव सपेड़ा सबके लिए मिसाल है। पिछले साल गांव ने दूसरे गांवों को भी सबक दिया था। क्योंकि गांव में तिनका पराली भी नहीं जलायी थी। गांव से सबक लेते हुए आस-पास के गांव कपूरी रोलां रतनहेड़ी मुनरहेडी के किसान भी प्रभावित हुए थे। इस कारण पास लगते चार गांवों में भी किसानों ने पराली नहीं जलाई थी।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : जिला का गांव सपेड़ा सबके लिए मिसाल है। पिछले साल गांव ने दूसरे गांवों को भी सबक दिया था। क्योंकि गांव में तिनका पराली भी नहीं जलायी थी। गांव से सबक लेते हुए आस-पास के गांव कपूरी, रोलां, रतनहेड़ी, मुनरहेडी के किसान भी प्रभावित हुए थे। इस कारण पास लगते चार गांवों में भी किसानों ने पराली नहीं जलाई थी।
किसान क्लब सपेड़ा के प्रधान सुखविद्र सिंह ने बताया कि दो साल कस्टम हायरिग सेंटर लिया गया था। इसके बाद सभी किसानों ने एक या दो एकड़ में बतौर टेस्ट किया था। जिसके परिणाम सफल रहे थे। उसी को देखते हुए गांव में सौ प्रतिशत किसानों ने पराली को आग नहीं लगाई थी और गेहूं की हैप्पी सीडर से सीधी बिजाई की थी।
क्लब के प्रधान ने बताया कि इसका श्रेय कृषि विज्ञान केंद्र तेपला को है। जिन्होंने उनकी हर समय मदद की। सभी क्लब सदस्यों ने भी मिलकर काम किया। इसके अलावा कृषि विज्ञान केंद्र तेपला वाले तकनीकी प्वाइंट बताते हैं। यहां तक कि बीमारी वगैरह बताने में भी डाक्टर सहायता करते हैं और किसानों को फ्री में यंत्र उपलब्ध करवाते हैं।
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-गांव में छह हैप्पी सीडर
तकनीकी खेती से अच्छा रिस्पांस मिलने पर अब गांव में साढ़े तीन सौ एकड़ पर गेहूं की हैप्पी सीडर से बिजाई की जाती है, बाकी गन्ना व अन्य फसल उगायी जाती है। गांव में इस बार छह हैप्पीसीडर हैं, जो किसानों के अपने हैं सिर्फ वह 1500 रुपये किराया लेते हैं। जबकि सिमट संस्था ने गांव गोद लिया हुआ है। उनके तीन हैप्पी सीडर हैं जो किराया नहीं लेते। सिर्फ किसान के पास अपना ट्रैक्टर होना चाहिए। एक हैप्पी सीडर केवीके से मिला हुआ है।
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-21 साल पहले बनाया था क्लब
गांव सपेड़ा के दस किसानों ने मिलकर करीब 21 साल पहले एक किसान क्लब बनाया था। उसके बाद से ही क्लब तकनीकी खेती की ओर बढ़ने लगा था। इसके बाद पिछले साल किसान क्लब सपेड़ा ने कस्टम हायरिग सेंटर लिया था। जिसमें कृषि यंत्र खरीदे थे। उसी का परिणाम है आज पारंपरिक खेती छोड़ तकनीकी कर रहे हैं।