पंजाब जाने वाले प्रवासी कामगरों की टेंशन दूर, रोडवेज ने चलाई अतिरिक्त बसें
बिहार व उत्तर प्रदेश से पंजाब की तरफ जाने वाले कामगारों को अब टेंशन लेने की जरूरत नहीं। अंबाला रोडवेज ने उनके लिए 25 बसें और अतिरिक्त चलाई हैं जिससे उनका सफर आसान हो गया है। बता दें जीरी लगाने का सीजन शुरू होने वाला है। ऐसे में काम के लिए काफी संख्या में प्रवासी छावनी बस अड्डे पर पहुंच रहे हैं। कामगारों को पंजाब ले जाने के लिए अतिरिक्त बसों को चलाया गया है। जहां रोडवेज बसों में कामगारों को ले जाया जा रहा वहीं कोरोना गाइडलाइन की भी धज्जियां उड़ती दिख रही है जबकि गाइडलाइन के मुताबिक बस में आधी सवारी के आदेश हैं।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : बिहार व उत्तर प्रदेश से पंजाब की तरफ जाने वाले कामगारों को अब टेंशन लेने की जरूरत नहीं। अंबाला रोडवेज ने उनके लिए 25 बसें और अतिरिक्त चलाई हैं, जिससे उनका सफर आसान हो गया है। बता दें जीरी लगाने का सीजन शुरू होने वाला है। ऐसे में काम के लिए काफी संख्या में प्रवासी छावनी बस अड्डे पर पहुंच रहे हैं। कामगारों को पंजाब ले जाने के लिए अतिरिक्त बसों को चलाया गया है। जहां रोडवेज बसों में कामगारों को ले जाया जा रहा, वहीं कोरोना गाइडलाइन की भी धज्जियां उड़ती दिख रही है, जबकि गाइडलाइन के मुताबिक बस में आधी सवारी के आदेश हैं।
अड्डे पर अनाउंसमेंट एक औपचारिकता
बता दें छावनी बस अड्डे पर भारी संख्या में प्रवासी कामगार पहुंच रहे हैं। इसके चलते अड्डे पर अब भीड़ जुटने लगी है। हालांकि भीड़ न जुटे इसको लेकर कर्मचारियों की ओर से अड्डे पर अनाउंसमेंट की जा रही है। मगर इसका काफी फायदा होता नहीं दिख रहा, बावजूद इसके भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही। यही लापरवाही दूसरों के लिए संकट पैदा कर सकती है, जबकि अभी कोरोना महामारी खत्म नहीं हुई है, ऐसे में सावधानी बरतना आवश्यक है। बताया जा रहा है जहां कामगार लखनऊ से 800 रुपये में बस के जरिए अंबाला तक पहुंच जाते थे, वहीं अब 2400 रुपये किराया देकर आना पड़ रहा है। उधर, पंजाब के लुधियाना, पटियाला व जालंधर के लिए डिपो की तरफ से 25 अतिरिक्त बसें चलाई गई है। -------- कामगारों के आने से बढ़ेगी रिसीट
हालांकि जीरी सीजन के चलते कामगार की संख्या में इजाफा हुआ है, वहीं कामगार द्वारा रोडवेज बस में सफर करने से डिपो की रिसीट में भी इजाफा होगा। बता दें कोरोना महामारी के चलते काफी रूट बंद पड़े हैं ऐसे में रिसीट कम थी। इससे डिपो को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।