महाप्रबंधक के शाही निरीक्षण पर रेलवे का रेड सिग्नल, आमदनी में गिरावट के बाद उठाया कदम
रेलवे ने मंडल रेल महाप्रबंधकों के शाही निरीक्षण पर रोक लगा दी है। रेलवे ने यह कदम आमदनी में गिरावट के कारण उठाया है।
अंबाला, [दीपक बहल]। कोरोना संक्रमण के इस काल में 58 फीसद आमदनी घटने के बाद रेल मंत्रालय ने सभी महाप्रबंधकों को लिखित आदेश जारी कर खर्चे कम और आमदनी बढ़ाने के आदेश दिए हैं। इसके तहत अब देश भर के सभी जोन में वार्षिक निरीक्षण में महाप्रबंधक के साथ अधिकारियों की फौज चलती है, लेकिन अब इस शाही परंपरा को छोड़कर महाप्रबंधक को चुपचाप कम अधिकारियों के साथ निरीक्षण करने होंगे। इसके अलावा कर्मचारियों और अधिकारियों को कैश अवॉर्ड पर भी मंत्रालय पर कैंची चलाई है। अब सिर्फ संरक्षा और मेडिकल में सराहनीय कार्य करने वालों को ही कैश अवॉर्ड से नवाजा जाएगा।
रेल मंत्रालय ने 58 फीसद आमदनी घटने के बाद देशभर में जारी किया फरमान
रेलवे ने नए फर्नीचर और वाहन खरीदने पर भी रोक लगा दी है। जिन मद में रेलवे के पास पैसा होगा उसी के ही टेंडर कराने की हिदायत दी गई है। इसी प्रकार कंप्यूटर, ङ्क्षप्रटर, बैठक-कार्यक्रम ऑनलाइन करने, तेल का खर्चा कम करने, वित्त वर्ष 2018-19 से पहले के सभी टेंडर, जिन्हें दो साल से कम अवधि में काम पूरा करना था को जल्द खत्म करने के लिए कहा गया है।
फर्नीचर, वाहन खरीदने पर रोक, कैश अवॉर्ड पर भी चली कैंची
डीजल की खपत करने के लिए 31 साल से पुराने सभी डीजल लोको को बेचने का भी सुझाव दिया गया है। ट्रेन में मिलने वाले चादर, स्टेशन की सफाई, लिफ्ट, स्वचालित सीढ़ी व स्टेशन एनाउंसमेंट का काम जहां तक संभव हो रेलवे कर्मचारी खुद करेंगे। खर्चा कम और आमदनी बढ़ाने के लिए स्पेशल अभियान चलाने के किए कहा गया है। इस संबंध में डीआरएम रिपोर्ट बनाकर महाप्रबंधक को भेजेंगे और यह रिपोर्ट मंत्रालय तक पहुंचेंगी।
एक निरीक्षण में लाखों का खर्च
निरीक्षण में जीएम स्पेशल ट्रेन में करीब 15 डिब्बे होते हैं। जोनल हेड, जीएम का स्टाफ होता है और जिस मंडल का निरीक्षण हो वहां के अधिकारियों व कर्मचारियों की फौज साथ होती है। जिस स्टेशन पर निरीक्षण के लिए जाते हैं वहां रेड कारपेट बिछाया जाता है। जब ट्रेन से उतरते हैं तो प्लेटफॉर्म पर कोच के नीचे लाल गद्दी लगती है। एक निरीक्षण पर लाखों रुपया खर्चा आता है।
शाही निरीक्षण, लक्जरी सैलून बना खर्चे का कारण
रेलवे के ये लक्जरी सैलून अंग्रेजों के जमाने के हैं, जिनमें ड्राइंग, डाइनिंग, किचन और दो बेडरूम होते हैं। इस तरह के खास डिब्बों को सैलून कहा जाता है। हर एक बेडरूम में अटैच्ड टॉयलेट-बाथरूम होते हैं। रेल लाइन पर यह चलते-फिरते लग्जरी होटल की तरह होते हैं। शाही सुविधाओं वाला सैलून काम में लेने की परंपरा चली आ रही है। इसी सैलून पर अफसरों की फौज निरीक्षण करती है जिस पर अब मंत्रालय ने कैंची चलाई है।
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