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प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने कहा-आपके प्रति जवाबदेह नहीं, दुकानदार-बोले आप कुर्सी के लायक नहीं

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : नेशनल हाईवे 444-ए स्थित महेश नगर के दुकानदार शनिवार क

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 08:23 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 08:23 PM (IST)
प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने कहा-आपके प्रति जवाबदेह 
नहीं, दुकानदार-बोले आप कुर्सी के लायक नहीं
प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने कहा-आपके प्रति जवाबदेह नहीं, दुकानदार-बोले आप कुर्सी के लायक नहीं

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : नेशनल हाईवे 444-ए स्थित महेश नगर के दुकानदार शनिवार को नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इडिया के प्रोजेक्ट डायरेक्टर से मिले। एक बैठक का पारा कुछ देर में ही ऊपर चढ़ गया। दुकानदारों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल अमित वशिष्ठ, जगदीप जॉनी व तरूण कांबोज ने प्रोजेक्ट डायरेक्टर वीके शर्मा को कहा कि महेशनगर में डॉ. केडी शर्मा ने अपने अस्पताल से न्यायालय के मुताबिक अतिक्रमण नहीं हटाया है। जबकि हाईकोर्ट से केस हारने व बाद सुप्रीमकोर्ट से अतिक्रमण हटाने के लिए 30 जून तक मिली मोहलत कब की खत्म हो चुकी है। जबकि यही मामला आम दुकानदारों से जुड़ा होता तो कब का निपटा दिया होता। इस मामले में एनएचएआइ के किसी भी अधिकारी व कर्मचारी ने मौके पर झांक कर भी नहीं देखा। दुकानदारों के इन तीखे सवालों के बीच प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने आपा खोया और बोले, वह उनके प्रति जवाबदेह नहीं हैं और उन्हें परेशान न किया जाए। यह सुनते ही दुकानदार भी तैश में आ गए और बोले, जिस चेयर(कुर्सी) पर बैठे हो, आप उस पर बैठने के लायक ही नहीं हैं। दुकानदार यहीं नहीं रूके बल्कि प्रोजेक्ट डायरेक्टर को चेताते हुए कहा कि अगर इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया तो फिर वह उन पर न्यायालय की अवमानना का केस डालेंगे। मामले में आपत्ति संबंधी ज्ञापन भी दिया।

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दुकानदारों का कहना था कि हाईकोर्ट के आदेशों पर बार हुई अंतिम पैमाइश के मुताबिक डॉ. केडी शर्मा को अपने अस्पताल के एक तरफ से 9 फीट व दूसरे तरफ से 7 फीट अतिक्रमण हटाना था। इस अवधि में अस्पताल संचालक ने दोनों तरफ से 3-3 फीट अतिक्रमण हटाया है। जबकि हाईकोर्ट के आदेशों की पालना कराने का काम एनएचएआई को करना था। इसके बावजूद कोई मौके पर जाकर नहीं देखा गया। प्रोजेक्टर डायरेक्टर को इस मामले में अपनी आपत्ति जताते हुए सौंपे ज्ञापन में कहा कि यह सीधे सीधे न्यायालय की अवमानना है। ऐसे में पूर्ण रूप से अतिक्रमण नहीं हटवाया गया तो वह अधिकारियों पर न्यायालय की अवमानना को लेकर हाईकोर्ट पहुंचेंगे। दुकानदारों के मुताबिक उन्हें बताया जाए कि क्यों जानबूझ कर भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है। जबकि हाईकोर्ट ने 10 जून तक का वक्त दिया था और जब मामला सुप्रीमकोर्ट पहुंचा तो इस मामले में केडी शर्मा को 30 जून तक राहत मिली थी।

हाईकोर्ट के आदेशों के बाद हटाया जा रहा अतिक्रमण

इस केस में एलपीए नंबर 444, 465, 466, 467, 627, 633, 695, 751,835, 870 व 999 आफ 2015 को केडी शर्मा वर्सेस स्टेट आफ हरियाणा का एक केस मानते हुए सालों तक सुनवाई चलती रही। अलबत्ता, नवंबर 2017 में इस अतिक्रमण पर कार्रवाई का डंडा चला लेकिन चार अतिक्रमण छोड़ दिए गए थे। हालांकि, बाद में कोर्ट ने इन सभी को कोई राहत नहीं देते हुए 10 जून तक अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे। न्यायालय के आदेशों के बाद डा. केडी शर्मा द्वारा भी अतिक्रमण हटा जा रहा है। उधर, केडी शर्मा से जब दुकानदारों द्वारा प्रोजेक्ट डायरेक्टर एनएचएआइ को की गई शिकायत पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।


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