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चक्कर पर चक्कर काट थके उपभोक्ता, सुनवाई के नाम पर ठेंगा

बिजली बिल में गड़बड़ियों को ठीक कराने के लिए उपभोक्ता परेशान, अधिकारियों के कान पर नहीं रेंगती जूं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 01:58 AM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 01:58 AM (IST)
चक्कर पर चक्कर काट थके उपभोक्ता, सुनवाई के नाम पर ठेंगा
चक्कर पर चक्कर काट थके उपभोक्ता, सुनवाई के नाम पर ठेंगा

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर: समय सुबह के 11: 40। स्थान- मॉडल टाउन सब डिवीजन। एसडीओ कार्यालय में बिजली के बिलों की समस्या लेकर भारी भीड़ है। सोमवार को एसई कार्यालय में लगे खुले दरबार में बेशक 5 शिकायतें ही पहुंची हों लेकिन बिजली उपभोक्ताओं की समस्याएं थमने का नाम नहीं ले रहीं। उपभोक्ता चक्कर पर चक्कर काटकर थक चुके हैं लेकिन मॉडल टाउन सब डिवीजन में उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। किसी को एक साल से बंद दुकान का 10 हजार रुपये प्रति माह बिल भेजा जा रहा है तो ज्यादातर उपभोक्ताओं की शिकायत हैं कि उन्हें आज तक बिल ही नहीं दिया गया। जंडली निवासी रीटा देवी ने बताया कि एक साल पहले नया मीटर लगा था लेकिन उसके बाद से आज तक बिल ही नहीं आ रहा। इसीलिए हर बार बिल लेने के लिए कार्यालय में ही आना पड़ता है। री¨डग लेने के लिए भी बिजली निगम के कर्मी नहीं आते और मर्जी से बिल भेज दिया जाता है। अधिकारी भी कटा रहे चक्कर

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बिजली निगम में पहुंचे ज्यादातर उपभोक्ताओं का कहना था कि वह दो-दो माह से चक्कर काट रहे हैं। जेई के पास जाते हैं तो वह एसडीओ के पास भेज देता है और एसडीओ जेई के पास। एक टेबल से दूसरी टेबल पर उन्हें भेजकर सारा दिन जाया करने के बाद भी उनकी कोई सुनवाई यहां नहीं होती। डेढ़ साल से बाद भी कार्रवाई नहीं

गलत बिल भेजने और ज्यादातर उपभोक्ताओं को बिल ही नहीं भेजने का सिलसिला पिछले करीब डेढ़ साल से जारी है। इसके बावजूद आज तक री¨डग लेने और बिल भेजने वाली कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। क्या कहते हैं उपभोक्ता

कांवला के गुरदर्शन सिंह ने बताया कि अभी भी मेरा छह माह का एडवांस बिल जमा है। अप्रैल-मई का जून में 1566 बिल भरा था और अब फिर 2200 रुपये का भेजा है लेकिन इससे ज्यादा यूनिट का बिल मैं पहले ही भर चुका हूं। प्रीत कॉलोनी की बिमला देवी बताती हैं कि मेरे पति की लकड़ी की दुकान थी। उनकी मृत्यु हुए कई साल बीत चुके हैं। अब दुकान भी बंद हो चुकी है, लेकिन दुकान का बिजली बिल हर बार 10 हजार रुपये भेजा जा रहा। मटेहड़ी जट्टां की रुक्मणी देवी ने बताया कि मेरे पास बीपीएल कार्ड है। मुझे 10 हजार का थमा दिया गया। माफीनामा योजना के तहत मुझे बिल भरना है। पति बीमार है। 5 हजार रुपये लेकर विभाग के चक्कर एक माह से काट रही हूं लेकिन यहां कोई विकल्प नहीं मिल रहा।


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