खेल का मैदान चढ़ गए प्रोजेक्टों की भेंट, खेलने के लिए जगह नहीं
अंबाला कैंट के दो बड़े मैदानों में अब खेल गतिविधियों पर ब्रेक है। दशकों तक राजनीतिक रैलियों धार्मिक समागमों सहित खेल गतिविधियों में इस्तेमाल होने वाले इन मैदानों में प्रोजेक्ट चल रहे हैं।
जागरण संवाददाता, अंबाला
अंबाला कैंट के दो बड़े मैदानों में अब खेल गतिविधियों पर ब्रेक है। दशकों तक राजनीतिक रैलियों, धार्मिक समागमों सहित खेल गतिविधियों में इस्तेमाल होने वाले इन मैदानों में प्रोजेक्ट चल रहे हैं। हालांकि एक और मैदान है, लेकिन इसके हालात बता रहे हैं कि इस में कोई भी कार्यक्रम आदि नहीं हो सकते, क्योंकि इस में गंदगी की भरमार है। लेकिन दूसरे अन्य मैदानों की बात करें, तो इन में खेल गतिविधियां तो पूरी तरह से ठप हो चुकी हैं। दो मैदान जहां नगपरिषद अंबाला सदर के अधीन आते हैं, वहीं एक मैदान सेना के तहत आता है। इसी को लेकर लोगों का भी कहना है कि युवाओं के लिए खेलने का मैदान तो होना चाहिए। हालांकि प्रोजेक्ट भी जरूरी हैं, लेकिन दूसरी ओर भी ध्यान देना चाहिए। हालांकि अंबाला कैंट में वार हीरोज मेमोरियल स्टेडियम हैं, लेकिन इसके अपग्रेड होने के बाद आम जनता को एंट्री मिलेगी या फिर सिर्फ खिलाड़ियों को इस पर भी संशय है। दूसरी ओर जिन मैदानों में हर रविवार को मैच होते थे, वे तो पूरी तरह से बंद हो चुके हैं। यह स्थिति मैदानों की
अंबाला कैंट के गांधी मैदान में कभी खेल गतिविधियां, राजनीतिक रैलियां और धार्मिक समागम होते थे। लेकिन इस में अब साइक्लिग ट्रैक का कार्य शुरू किया गया था, लेकिन यह भी बंद हो चुका है। इसी तरह एसडी कालेज के सामने सेना क्षेत्र का एक मैदान था, जिसमें रविवार को क्रिकेट की कईं टीमें मैच खेलती थीं। लेकिन यहां पर भी अब चार दीवारी कर निर्माण कार्य चल रहा है। दूसरी ओर रामबाग रोड दशहरा मैदान की बात करें, तो इस में गंदगी की इतनी भरमार है कि यहां पर तो पैदल चलना मुश्किल है ।
विकास के लिए प्रोजेक्ट भी जरूरी है, लेकिन इसके साथ ही युवाओं के लिए भी खेल मैदान होना चाहिए। हालांकि स्टेडियम तैयार हो रहा है, लेकिन सार्वजनिक मैदान की जरूरत तो हमेशा रही है।
- आनंद मोहन शुक्ला, अंबाला कैंट
गांधी मैदान में कभी युवा हर रविवार को मैच खेलने के लिए जुटते थे, जबकि इसी मैदान में धार्मिक आयोजन भी हुए हैं। अब साइक्लिग ट्रैक बन रहा है। अब तो इस में खेल गतिविधियां पूरी तरह से ठप हैं।
- अजय गुलाटी, अंबाला कैंट
खेल मैदानों का होना युवाओं के लिए जरूरी है। आधुनिक सुविधाओं से लैस स्टेडियम तैयार तो हो रहा है, लेकिन हर कोई इस में नहीं जा सकता। दूसरी ओर जिन मैदानों में प्रोजेक्ट चल रहे हैं, उनमें हर रविवार को मैच होते रहे हैं, जो अब नहीं होते।
- महिदर कुमार, खिलाड़ी एवं कराटे कोच
कई नौकरीपेशा लोग गांधी मैदान या फिर एसडी कालेज के सामने सेना के मैदान में खेलने के लिए जुटते थे। लेकिन अब तो इन में प्रोजेक्ट चल रहे हैं। जो लोग इन मैदानों में जुटते थे, उनके खेलने के लिए मैदान ही नहीं हैं।
- अरुण कुमार, नौकरीपेशा।